जस्टिस यशवंत वर्मा मामले में लीक रिपोर्ट से बढ़ी जांच की जटिलता
जस्टिस यशवंत वर्मा के मामले में लीक हुई रिपोर्ट ने जांच की जटिलताओं को बढ़ा दिया है। इस रिपोर्ट में 55 गवाहों के बयान शामिल हैं, जिनमें जले हुए नोटों की मौजूदगी और अन्य महत्वपूर्ण तथ्य सामने आए हैं। जांच समिति ने कई संदेहों को उजागर किया है, जिसमें वॉट्सएप चैट का अभाव और सीसीटीवी फुटेज का न होना शामिल है। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि जस्टिस वर्मा का न्यायिक पद पर बने रहना उचित नहीं है। जानें इस मामले की पूरी जानकारी।
Jun 21, 2025, 14:45 IST
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जस्टिस यशवंत वर्मा की जांच रिपोर्ट का खुलासा
जस्टिस यशवंत वर्मा के मामले में एक नई रिपोर्ट सामने आई है, जिसमें जले हुए नोटों और कैश कांड की जांच की गई है। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में एक समिति का गठन किया था, और अब यह रिपोर्ट लीक हो गई है। इस 64 पन्नों की रिपोर्ट में 55 गवाहों के बयान शामिल हैं, जिनमें जस्टिस वर्मा की बेटी दिया वर्मा भी शामिल हैं। जांच समिति ने विभिन्न विभागों के कर्मचारियों के बयान दर्ज किए हैं, जिनमें दिल्ली फायर सर्विस के 11, दिल्ली पुलिस के 14, सीआरपीएफ के 6 और जस्टिस वर्मा के घरेलू और कोर्ट स्टाफ के 18 लोग शामिल हैं। सबसे महत्वपूर्ण गवाह वे दस कर्मचारी हैं, जो मौके पर आग बुझाने के लिए पहुंचे थे और उन्होंने नकदी को अपनी आंखों से देखा। ये कर्मचारी मुख्यतः फायर डिपार्टमेंट और पुलिस विभाग से थे।
जस्टिस यशवंत वर्मा केस के गवाहों की सूची
जस्टिस यशवंत वर्मा केस के 10 गवाह
1. अंकित सहवाग (फायर ऑफिसर, DFS): उन्होंने स्टोर रूम में आधे जले हुए ₹500 के नोटों का ढेर देखा।
2. प्रदीप कुमार (फायर ऑफिसर, DFS): स्टोर रूम में घुसते ही उन्हें ₹500 के नोटों का ढेर मिला।
3. मनोज महलावत (स्टेशन ऑफिसर, DFS): उन्होंने घटनास्थल की तस्वीरें लीं और अधजली नकदी देखी।
4. भंवर सिंह (ड्राइवर, DFS): उन्होंने अपने करियर में पहली बार इतनी बड़ी मात्रा में नकदी देखी।
5. प्रविंद्र मलिक (फायर ऑफिसर, DFS): उन्होंने देखा कि प्लास्टिक बैग में भरी नकदी आग में जल गई थी।
6. सुमन कुमार (असिस्टेंट डिविजनल ऑफिसर, DFS): उन्होंने वरिष्ठ अधिकारी को नकदी मिलने की सूचना दी।
7. राजेश कुमार (तुगलक रोड थाना, दिल्ली पुलिस): उन्होंने अधजली नकदी देखी और वहां वीडियो बनाते हुए लोगों को देखा।
8. सुनील कुमार (इंचार्ज, ICPCR): उन्होंने स्टोर रूम में जली-अधजली नकदी देखी।
9. रूप चंद (हेड कांस्टेबल, तुगलक रोड थाना): उन्होंने पूरी घटना रिकॉर्ड की।
10. उमेश मलिक (SHO, तुगलक रोड थाना): उन्होंने जले हुए ₹500 के नोटों के ढेर को देखा।
जांच में संदेह के प्रमुख कारण
संदेह के 5 बड़े कारण
1. स्टाफ के साथ वॉट्सएप चैट: जस्टिस वर्मा के स्टाफ ने बताया कि 14-15 मार्च की रात उनसे केवल वॉट्सएप चैट हुई।
2. सीसीटीवी फुटेज का अभाव: घटना के समय जस्टिस वर्मा के पास फुटेज को सुरक्षित करने का समय था, लेकिन ऐसा नहीं किया गया।
3. साजिश का दावा: जस्टिस वर्मा ने केवल साजिश का दावा किया, लेकिन कोई ठोस सबूत नहीं दिया।
4. स्टोर रूम का निरीक्षण न करना: जस्टिस वर्मा और उनकी पत्नी ने आग लगने के बाद स्टोर रूम को नहीं देखा।
5. शिकायत न करना: जस्टिस वर्मा ने न तो पुलिस में शिकायत की और न ही उच्च न्यायालय को जानकारी दी।
आगे की कार्रवाई
पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश शील नागू, हिमाचल हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जीएस संधावालिया और कर्नाटक हाईकोर्ट की जज अनु शिवरामन ने इस जांच रिपोर्ट को तैयार किया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि आरोप गंभीर हैं और जस्टिस वर्मा का न्यायिक पद पर बने रहना उचित नहीं है।