जसपाल राणा: मेरी यात्रा और ओलंपिक पदक की ख्वाहिश

एक लंबी यात्रा का अनुभव
जब मैं अपने शूटिंग करियर पर नजर डालता हूँ, तो मेरे अंदर भावनाएँ उमड़ने लगती हैं। आज मैं भारतीय टीम का राष्ट्रीय पिस्टल कोच हूँ, और मुझे लगता है कि भगवान ने मुझ पर कृपा की है। 1987 में एक छोटे लड़के के रूप में शुरू होकर, आज तक की मेरी यात्रा अद्भुत रही है। हर दिन का महत्व समझते हुए, मैं इस खेल को वापस देने के लिए आभारी हूँ।
शूटिंग का जुनून
मेरे पिता द्वारा शूटिंग से परिचित होने के बाद, मैंने 1991 में अहमदाबाद में अपने पहले राष्ट्रीय प्रतियोगिता में भाग लिया। तब से, मैंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। शूटिंग मेरे लिए जीवन का एक अभिन्न हिस्सा है। 1994 में इटली में स्वर्ण पदक जीतने के बाद, मुझे महसूस हुआ कि मैं भारतीय शूटिंग का चेहरा बन गया हूँ।
गुरुओं का योगदान
मेरे दो गुरु, टिबोर गोंज़ोल और सनी थॉमस, ने मेरी यात्रा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। मैंने विभिन्न अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में भारत का प्रतिनिधित्व किया और मेरे पास 100 से अधिक पदक हैं। हालांकि, मुझे ओलंपिक पदक न जीतने का अफसोस है। जब मैं मनु भाकर के व्यक्तिगत कोच के रूप में पेरिस 2024 ओलंपिक में गया, तो यह मेरे लिए एक बड़ा चुनौती थी।
कड़ी मेहनत का महत्व
मैं हमेशा जानता था कि मैं भारत का प्रतिनिधित्व कर रहा हूँ। आज, मैं राष्ट्रीय खेल महासंघ (NRAI) के लिए काम करता हूँ और युवा खिलाड़ियों को अपने सपनों का पीछा करने के लिए प्रेरित करता हूँ। कुछ लोग कहते हैं कि मेरी कोचिंग की विधियाँ कठोर हैं, लेकिन मैं मानता हूँ कि अनुशासन आवश्यक है।
भविष्य की योजनाएँ
भारत 2026 एशियाई खेलों और 2028 लॉस एंजेलिस ओलंपिक की तैयारी कर रहा है। मैं खुश हूँ कि मैं अमेरिका लौटने की संभावना देख रहा हूँ। भारत को 2036 ओलंपिक की मेज़बानी करनी चाहिए, और मैं इस सपने को साकार होते देखना चाहता हूँ।