जयपुर में नवजात शिशुओं के स्वास्थ्य जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन

जयपुर में आयोजित एक कार्यक्रम ने नवजात शिशुओं के स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता बढ़ाने का प्रयास किया। इस आयोजन में उन बच्चों की प्रेरक कहानियाँ साझा की गईं, जो 23 से 26 हफ्ते की उम्र में जन्म लेने के बावजूद आज स्वस्थ जीवन जी रहे हैं। विशेषज्ञों ने नवजात शिशुओं की देखभाल में आधुनिक तकनीक की भूमिका पर चर्चा की। कार्यक्रम में प्री-मैच्योरिटी डे का आयोजन भी किया गया, जिसमें बच्चों के लिए विभिन्न गतिविधियाँ रखी गईं। माता-पिता ने इस पहल की सराहना की, जो उन्हें अपने बच्चों की कठिन शुरुआत को सकारात्मक रूप से याद करने का अवसर देती है।
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जयपुर में नवजात शिशुओं के स्वास्थ्य जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन

नवजात शिशुओं की प्रेरक यात्रा का जश्न

जयपुर में एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया, जिसका उद्देश्य नवजात शिशुओं के स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता फैलाना था। इस कार्यक्रम में उन बच्चों और उनके परिवारों ने भाग लिया, जिन्होंने जीवन के प्रारंभिक महीनों में कठिनाइयों का सामना किया। इस अवसर पर उन शिशुओं की प्रेरक कहानियों को साझा किया गया, जो 23 से 26 हफ्ते की उम्र में जन्म लेने के बावजूद आज स्वस्थ जीवन जी रहे हैं। माता-पिता के लिए यह एक भावुक और गर्व का क्षण था, क्योंकि उन्होंने अपने बच्चों की प्रगति को एक मंच पर देखा।


विशेषज्ञों की चर्चा

इस कार्यक्रम में नीओनेटलॉजी के विशेषज्ञों ने नवजात शिशुओं की देखभाल में आधुनिक तकनीक और समय पर चिकित्सा सहायता की महत्वपूर्ण भूमिका पर चर्चा की। उन्होंने बताया कि अत्यधिक समयपूर्व जन्म लेने वाले शिशुओं के लिए उन्नत एनआईसीयू सुविधाएँ जीवन रक्षक साबित होती हैं। चिकित्सकों ने कहा कि जयपुर में उपलब्ध आधुनिक चिकित्सा ढाँचा माता-पिता को यह विश्वास दिलाता है कि उनके बच्चे सुरक्षित हैं। सूर्या हॉस्पिटल के डॉक्टरों के अनुसार, शुरुआती चुनौतियों के बावजूद, सैकड़ों शिशु बेहतरीन देखभाल के बाद आज स्वस्थ जीवन जी रहे हैं।


प्री-मैच्योरिटी डे का आयोजन

कार्यक्रम के अंत में प्री-मैच्योरिटी डे का औपचारिक आयोजन किया गया, जिसमें लगभग 32 प्रीमिच्योर शिशुओं और उनके परिवारों ने भाग लिया। बच्चों के लिए विभिन्न गतिविधियाँ जैसे फन गेम्स, क्रिएटिव एक्टिविटीज़, फोटो बूथ और केक कटिंग का आयोजन किया गया, जिससे बच्चों में उत्साह का माहौल बना रहा।


भावनात्मक मजबूती का एहसास

फैसिलिटी डायरेक्टर कर्नल मनन मुकुल ने बताया कि ऐसे आयोजन परिवारों को भावनात्मक मजबूती प्रदान करते हैं और उन्हें यह एहसास कराते हैं कि उनके बच्चों की कठिन शुरुआत अब एक प्रेरक कहानी बन चुकी है। माता-पिता ने इस पहल की सराहना करते हुए कहा कि यह कार्यक्रम उन्हें अपने बच्चों की प्रारंभिक यात्रा को सकारात्मक रूप से याद करने का अवसर देता है।