जयपुर के एसएमएस अस्पताल में बिना सर्जरी प्रोस्टेट का सफल इलाज

जयपुर के एसएमएस मेडिकल कॉलेज ने प्रोस्टेट के इलाज में एक नई क्रांति लाई है। रेज़्युम वाटर वेपर थैरेपी के माध्यम से बिना सर्जरी और एनेस्थीसिया के, मरीजों का उपचार किया जा रहा है। यह प्रक्रिया न केवल त्वरित है, बल्कि इसके कई लाभ भी हैं, जैसे कि कम ब्लीडिंग और जल्दी रिकवरी। जानें इस तकनीक के बारे में और कैसे यह मरीजों के लिए फायदेमंद साबित हो रही है।
 | 
जयपुर के एसएमएस अस्पताल में बिना सर्जरी प्रोस्टेट का सफल इलाज

एसएमएस मेडिकल कॉलेज में नई तकनीक का आगाज़

जयपुर के सवाई मानसिंह (एसएमएस) मेडिकल कॉलेज के सुपर स्पेशलिटी ब्लॉक में अब प्रोस्टेट का इलाज बिना दर्द के संभव हो गया है। यूरोलॉजी विभाग ने पहली बार रेज़्युम वाटर वेपर थैरेपी का उपयोग करते हुए प्रोस्टेट का सफल उपचार किया है। यह प्रक्रिया बिना एनेस्थीसिया और सर्जरी के, बहुत कम समय में की जाती है। आमतौर पर यह तकनीक महंगे कॉर्पोरेट अस्पतालों में ही उपलब्ध होती है, लेकिन एसएमएस अस्पताल उत्तर भारत का पहला सरकारी अस्पताल बन गया है, जहां इस आधुनिक विधि से प्रोस्टेट का इलाज किया गया।


रेज़्युम वाटर वेपर थैरेपी की प्रक्रिया

यूरोलॉजी विभाग के प्रमुख डॉ. शिवम प्रियदर्शी के अनुसार, यह एक मिनिमली इनवेसिव प्रक्रिया है। इसमें पेशाब की नली के माध्यम से एक छोटा उपकरण प्रोस्टेट तक पहुंचाया जाता है, जिसके जरिए नियंत्रित मात्रा में भाप (वाटर वेपर) इंजेक्ट की जाती है। यह भाप प्रोस्टेट के अतिरिक्त ऊतकों को नष्ट कर देती है, और बाद में शरीर स्वयं इन ऊतकों को अवशोषित कर लेता है, जिससे पेशाब से संबंधित समस्याएं समाप्त हो जाती हैं।


इस प्रक्रिया के लाभ

  • सर्जरी और भर्ती की आवश्यकता नहीं
  • लगभग 30 मिनट में उपचार पूरा
  • ब्लीडिंग की संभावना न्यूनतम
  • यौन क्षमता पर कोई नकारात्मक प्रभाव नहीं
  • जल्दी रिकवरी, मरीज जल्दी सामान्य दिनचर्या में लौट सकते हैं


बिना एनेस्थीसिया, त्वरित उपचार

एसएमएस अस्पताल में यह पहला ऑपरेशन मोहाली के फोर्टिस अस्पताल के यूरोलॉजिस्ट डॉ. रोहित की देखरेख में किया गया, जिन्होंने इस तकनीक से 150 से अधिक सफल ऑपरेशन किए हैं। उनका कहना है कि यह तकनीक विशेष रूप से उन मरीजों के लिए लाभकारी है जो पहले से किसी गंभीर बीमारी से ग्रसित हैं।


मशीन की खरीद का प्रस्ताव

वर्तमान में इस तकनीक के लिए मशीन को डेमो के रूप में लाया गया था। डॉ. शिवम प्रियदर्शी ने बताया कि सरकार को लगभग 90 लाख रुपये की इस मशीन की खरीद के लिए प्रस्ताव भेजा जाएगा, ताकि अधिक से अधिक मरीजों को इसका लाभ मिल सके।