जय अनमोल अंबानी से ED की पूछताछ जारी, Yes Bank मामले में जांच गहराई में

जय अनमोल अंबानी से प्रवर्तन निदेशालय (ED) द्वारा Yes Bank से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग और बैंक धोखाधड़ी मामले में पूछताछ की जा रही है। यह जांच पूर्व प्रबंध निदेशक राणा कपूर और अन्य के खिलाफ चल रही है। जय अनमोल के वित्तीय लेनदेन की जांच की जा रही है, जिसमें रिलायंस ग्रुप की कंपनियों का भी जिक्र है। दिल्ली हाई कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण निर्णय में यूनियन बैंक के धोखाधड़ी वाले खाते के फैसले को रद्द कर दिया है। जानें इस मामले की पूरी जानकारी।
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जय अनमोल अंबानी से ED की पूछताछ

भारतीय प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने Yes Bank से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग और बैंक धोखाधड़ी के मामले में शनिवार को उद्योगपति अनिल अंबानी के बेटे जय अनमोल अंबानी से फिर से पूछताछ की। ED ने उन्हें सुबह 11 बजे तलब किया और पूछताछ का सिलसिला जारी है।


यह कार्रवाई Yes Bank के पूर्व प्रबंध निदेशक राणा कपूर और अन्य के खिलाफ चल रही जांच का हिस्सा है, जिसमें संदिग्ध ऋण और धन शोधन के आरोप शामिल हैं। जय अनमोल अंबानी से पूछताछ उनके व्यवसायों और Yes Bank के बीच वित्तीय लेनदेन से संबंधित है। ED इस मामले में कई उद्योगपतियों और कंपनियों के खिलाफ कार्रवाई कर चुकी है।


शुक्रवार को हुई थी पूछताछ

शुक्रवार को हुई पूछताछ के बाद अधिकारियों ने बताया कि 34 वर्षीय जय अनमोल का बयान प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (PMLA) के तहत दर्ज किया गया था और शनिवार को भी यह प्रक्रिया जारी रहने की संभावना है। यह जांच रिलायंस अनिल धीरूभाई अंबानी ग्रुप (ADAG) की कंपनियों में Yes Bank के एक्सपोजर से संबंधित है, जो 31 मार्च 2017 तक लगभग 6000 करोड़ रुपये से बढ़कर एक साल के भीतर लगभग 13000 करोड़ रुपये हो गया था।


ED के अनुसार, रिलायंस होम फाइनेंस लिमिटेड और रिलायंस कमर्शियल फाइनेंस लिमिटेड जैसी कंपनियों को दिए गए ऋण का एक बड़ा हिस्सा नॉन-परफॉर्मिंग इन्वेस्टमेंट में बदल गया, जिससे बैंक को लगभग 3300 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ। अनिल अंबानी से पहले भी ग्रुप कंपनियों से जुड़ी जांच के सिलसिले में ED पूछताछ कर चुकी है।


दिल्ली हाई कोर्ट का महत्वपूर्ण फैसला

दिल्ली हाई कोर्ट ने शुक्रवार को यूनियन बैंक ऑफ इंडिया के उस निर्णय को रद्द कर दिया, जिसमें जय अनमोल अंबानी की एक कंपनी के बैंक खाते को धोखाधड़ी वाला बताया गया था। जस्टिस ज्योति सिंह ने कहा कि खाते को धोखाधड़ी घोषित करने से पहले याचिकाकर्ता को उचित कारण बताओ नोटिस नहीं दिया गया था, जो प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों का उल्लंघन है।