जम्मू की अदालत ने पहलगाम आतंकी हमले के संदर्भ में एनआईए की याचिका खारिज की

जम्मू की विशेष अदालत ने पहलगाम आतंकी हमले के संदर्भ में एनआईए द्वारा मांगी गई पॉलीग्राफ और नार्को एनालिसिस परीक्षण की याचिका को खारिज कर दिया। अदालत ने कहा कि ये परीक्षण संविधान में दिए गए अधिकारों का उल्लंघन करते हैं। एनआईए ने आरोपियों की बेगुनाही साबित करने के लिए सहमति का दावा किया, लेकिन आरोपियों ने इसे खंडित किया। जानें इस मामले की पूरी जानकारी और अदालत के आदेश के पीछे की वजह।
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जम्मू की अदालत ने पहलगाम आतंकी हमले के संदर्भ में एनआईए की याचिका खारिज की

अदालत का निर्णय

जम्मू की विशेष अदालत ने पहलगाम में हुए आतंकी हमले से जुड़े दो संदिग्धों के लिए एनआईए द्वारा मांगे गए 'पॉलीग्राफ टेस्ट' और 'नार्को एनालिसिस' परीक्षण की याचिका को अस्वीकार कर दिया है। अदालत ने कहा कि ये वैज्ञानिक तकनीकें किसी व्यक्ति के खुद के खिलाफ साक्ष्य देने के अधिकार का उल्लंघन करती हैं।


एनआईए की दलीलें

राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए) ने अदालत को बताया कि आरोपियों ने अपनी बेगुनाही साबित करने के लिए इन परीक्षणों के लिए सहमति दी थी। यह मामला 22 अप्रैल को हुए आतंकवादी हमले के बाद एनआईए द्वारा उठाया गया था, जिसमें 26 लोगों की जान गई थी।


आरोपियों का खंडन

हालांकि, आरोपियों बशीर अहमद जोतद और परवेज अहमद ने एनआईए के दावों का खंडन किया। उन्हें आतंकवादियों को शरण देने के आरोप में 26 जून को गिरफ्तार किया गया था। अदालत ने कहा कि दोनों आरोपियों ने खुली अदालत में यह स्पष्ट किया कि वे इन परीक्षणों के लिए इच्छुक नहीं हैं।


अदालत का आदेश

29 अगस्त को अदालत ने एक आदेश जारी किया था, जिसमें एनआईए के मुख्य जांच अधिकारी ने इन परीक्षणों की अनुमति मांगी थी। बचाव पक्ष के वकील ने एनआईए के दावे का खंडन करते हुए कहा कि आरोपियों से हिरासत में स्वैच्छिक सहमति का बयान नहीं लिया गया था।


संविधानिक अधिकारों का उल्लंघन

अदालत ने कहा कि किसी व्यक्ति पर उसकी इच्छा के खिलाफ नार्को-एनालिसिस और पॉलीग्राफ टेस्ट जैसी तकनीकें लागू करना संविधान में दिए गए खुद के खिलाफ साक्ष्य देने से बचने के अधिकार का उल्लंघन होगा। आदेश में कर्नाटक उच्च न्यायालय के फैसले और राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के दिशानिर्देशों का भी उल्लेख किया गया।