जम्मू-कश्मीर विधानसभा में राष्ट्रवाद पर गरमाई बहस, शगुन परिहार ने उठाए गंभीर सवाल
जम्मू-कश्मीर विधानसभा में गरमाई राजनीति
आज जम्मू-कश्मीर की राजनीति में एक महत्वपूर्ण घटना घटी। किश्तवाड़ से भाजपा की युवा विधायक शगुन परिहार ने उमर सरकार पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि "किश्तवाड़ के कुछ क्षेत्रों की अनदेखी की जा रही है क्योंकि वहां राष्ट्रवादी हिंदू निवास करते हैं।" उनके इस बयान ने विधानसभा में हलचल मचा दी। सत्ता पक्ष के सदस्य एकजुट होकर नेशनल कॉन्फ्रेंस और पीडीपी के नेताओं द्वारा इस बयान को "सांप्रदायिक" करार देते हुए हंगामा करने लगे।
विधायक शगुन परिहार का पलटवार
मंत्री जाविद डार ने तुरंत प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि "ऐसे बयान समाज में विभाजन पैदा करते हैं और इन्हें कार्यवाही से हटाना चाहिए।" लेकिन शगुन परिहार ने अपने शब्द वापस लेने से इनकार कर दिया। उन्होंने कहा, "कल पीडीपी के नेताओं ने सदन में हिंदुओं पर 'फूट डालो और राज करो' का आरोप लगाया था, तब किसी ने आपत्ति क्यों नहीं की?" इस पर नेशनल कॉन्फ्रेंस के विधायक नजीर अहमद खान ने कहा कि "हजारों मुसलमानों ने देश के लिए बलिदान दिया है, ऐसे बयान उनका अपमान हैं।" शगुन परिहार ने शांत स्वर में उत्तर दिया, "मैं किसी धर्म का नहीं, बल्कि उपेक्षित राष्ट्रवाद का समर्थन कर रही हूँ।"
उपमुख्यमंत्री का हस्तक्षेप
इस घटनाक्रम ने सदन में तनाव पैदा कर दिया, जिसके बाद उपमुख्यमंत्री सुरिंदर चौधरी को हस्तक्षेप करना पड़ा। उन्होंने कहा, "जम्मू-कश्मीर में मुसलमान, सिख और ईसाई भी उतने ही राष्ट्रवादी हैं जितने हिंदू।" राजनीतिक विश्लेषकों के लिए यह स्पष्ट था कि शगुन परिहार की टिप्पणी ने उमर सरकार को असहज कर दिया है, खासकर जब केंद्र और राज्य के बीच राष्ट्रवाद की परिभाषा पर बहस चल रही है।
विकास योजनाओं की उपेक्षा पर सवाल
शगुन परिहार ने विधानसभा में कहा कि किश्तवाड़ के उन क्षेत्रों में, जहां राष्ट्रवादी भावना प्रबल है, विकास योजनाओं की अनदेखी की जा रही है। उनका सवाल था, "क्या राष्ट्रवाद अब भी किसी क्षेत्र की पहचान तय करने का कारण बन गया है?" यह सवाल उमर सरकार की नीतियों पर सीधा हमला था। भाजपा के कई विधायकों ने उनके समर्थन में नारे लगाए, जिससे सदन में और भी हंगामा बढ़ गया। कांग्रेस ने भी इस बयान पर आपत्ति जताई, लेकिन कई स्वतंत्र और निर्दलीय विधायकों ने शगुन परिहार की हिम्मत की सराहना की।
विधानसभा अध्यक्ष की चेतावनी
विधानसभा अध्यक्ष अब्दुल रहीम राठेर ने माहौल को शांत करने की कोशिश करते हुए शगुन परिहार से कहा, "आप पहली बार सदन में आई हैं, कृपया अपने शब्दों का चयन सावधानी से करें। विवादास्पद शब्दों से बचें।" लेकिन शगुन परिहार ने संयम से उत्तर दिया, "मैं किसी धर्म या समुदाय के खिलाफ नहीं बोल रही, बल्कि उस प्रशासनिक उपेक्षा के खिलाफ बोल रही हूँ जो राष्ट्रवादी लोगों के साथ हो रही है।" उनका यह उत्तर सदन के रिकॉर्ड में दर्ज हो गया और राजनीतिक हलकों में चर्चा का विषय बन गया।
सोशल मीडिया पर चर्चा
शगुन परिहार का यह बयान केवल विधानसभा तक सीमित नहीं रहा। सोशल मीडिया पर उनका नाम ट्रेंड करने लगा। राष्ट्रवादी हलकों में उनकी स्पष्टवादिता की प्रशंसा हो रही है, जबकि विपक्ष उन्हें "ध्रुवीकरण की राजनीति" करने वाला बता रहा है। यह कदम एक व्यापक राजनीतिक संदेश देता है कि जम्मू-कश्मीर में राष्ट्रवाद की आवाज अब केवल दिल्ली से नहीं, बल्कि किश्तवाड़ जैसे पहाड़ी क्षेत्रों से भी उठ रही है।
महिला विधायकों की भूमिका
हालांकि शगुन परिहार की टिप्पणी विधानसभा में विवाद का कारण बनी, लेकिन यह स्पष्ट है कि उन्होंने एक ऐसे मुद्दे को राष्ट्रीय विमर्श के केंद्र में ला दिया है, जिसे अक्सर "संवेदनशील" कहकर टाल दिया जाता था। उन्होंने यह साबित कर दिया कि नई पीढ़ी की महिला विधायक केवल दर्शक नहीं, बल्कि महत्वपूर्ण सवाल उठाने वाली हैं। जब यह सवाल राष्ट्रवाद और उपेक्षा से जुड़ा हो, तो सत्ता की कुर्सियाँ भी हिल जाती हैं।
