जम्मू-कश्मीर में राज्य का दर्जा बहाल करने की मांग तेज

राज्य का दर्जा बहाल करने की सियासत
जम्मू-कश्मीर में राज्य का दर्जा पुनर्स्थापित करने की मांग एक बार फिर से राजनीतिक चर्चा का विषय बन गई है। नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता फारूक अब्दुल्ला ने चेतावनी दी है कि यदि इस प्रक्रिया में अधिक समय लगा, तो उनकी पार्टी उच्चतम न्यायालय का सहारा लेगी। मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने भी कहा है कि यदि राज्य का दर्जा बहाल किया जाता है, तो वह विधानसभा को भंग करने की सिफारिश करने के लिए तैयार हैं।
फारूक अब्दुल्ला ने कहा, "चुनाव के बाद लोगों की अपेक्षाएं थीं कि उनके मुद्दों का त्वरित समाधान हो, लेकिन राज्य का दर्जा बहाल न होने के कारण यह संभव नहीं हो पा रहा है।" उन्होंने आगे कहा, "हम जम्मू-कश्मीर को राज्य का दर्जा मिलने का इंतजार कर रहे हैं, लेकिन अगर केंद्र सरकार इसमें देरी करती है, तो हमें उच्चतम न्यायालय का रुख करना पड़ेगा। मुझे विश्वास है कि जब राज्य का दर्जा पुनर्स्थापित होगा, तो हमें सभी अधिकार मिलेंगे।"
मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला की प्रतिक्रिया
मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने कहा कि यदि राज्य का दर्जा बहाल होने के बाद विधानसभा को भंग कर नए चुनाव कराए जाते हैं, तो उन्हें कोई आपत्ति नहीं है। गुलमर्ग में संवाददाताओं से बात करते हुए उन्होंने कहा, "मैंने सुना है कि राज्य का दर्जा बहाल किया जाएगा, लेकिन इसके लिए विधानसभा चुनाव फिर से कराने होंगे। अगर ऐसा करना है, तो उन्हें करने दीजिए।"
उमर अब्दुल्ला ने यह भी कहा कि राज्य का दर्जा जम्मू-कश्मीर के लोगों का अधिकार है। उन्होंने कहा, "मुझे पता है कि यह खबर कहां से आई है। यह केवल विधायकों को डराने के लिए प्रकाशित की गई है। राज्य का दर्जा केवल विधायकों या सरकार के लिए नहीं, बल्कि जम्मू-कश्मीर के लोगों के लिए है।" उन्होंने स्पष्ट किया कि यदि विधायकों को डराने की कोशिश की जा रही है, तो ऐसा करने दें। उन्होंने कहा, "जिस दिन राज्य का दर्जा बहाल होगा, हम राज्यपाल के पास जाकर विधानसभा भंग करने की सिफारिश करेंगे। हमें डराने की कोशिश न करें।"