जम्मू कश्मीर में दरबार स्थानांतरण की परंपरा का पुनरारंभ
दरबार स्थानांतरण की शुरुआत
जम्मू कश्मीर में चार साल के अंतराल के बाद अर्द्धवार्षिक 'दरबार स्थानांतरण' (दरबार मूव) फिर से शुरू हो गया है। मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने सोमवार को अपने आधिकारिक निवास से पैदल चलते हुए सिविल सचिवालय में अपने कार्यालय की ओर कदम बढ़ाए।
रेजीडेंसी रोड और रघुनाथ बाजार से गुजरते समय, जम्मू चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री सहित कई व्यापारी संघों ने उनका भव्य स्वागत किया। उन्होंने 2021 में रुकी इस पुरानी परंपरा को फिर से शुरू करने के निर्णय की सराहना की।
स्थानांतरण की प्रक्रिया
'दरबार स्थानांतरण' में मौसम के अनुसार जम्मू कश्मीर सरकार के कार्यालयों को श्रीनगर और जम्मू के बीच स्थानांतरित करना शामिल है। इस प्रक्रिया के तहत, श्रीनगर में सिविल सचिवालय और अन्य कार्यालय 30 और 31 अक्टूबर को बंद हो गए, और सोमवार से शीतकालीन राजधानी से काम शुरू हो गया।
इतिहास और आलोचना
'दरबार स्थानांतरण' की शुरुआत लगभग 150 साल पहले डोगरा शासकों द्वारा की गई थी। उप राज्यपाल मनोज सिन्हा ने जून 2021 में प्रशासन के ई-ऑफिस में बदलाव का हवाला देते हुए इस पर रोक लगा दी थी, जिससे सालाना लगभग 200 करोड़ रुपये की बचत होने का अनुमान था।
हालांकि, जम्मू के व्यापारिक समुदाय और अन्य वर्गों ने इस निर्णय की कड़ी आलोचना की और इस प्रथा को फिर से शुरू करने की मांग की। अब्दुल्ला ने 16 अक्टूबर को 'दरबार स्थानांतरण' की शुरुआत करके अपने चुनावी वादे को पूरा किया, जिससे व्यापारिक समुदाय को राहत मिली।
मुख्यमंत्री का स्वागत
उप मुख्यमंत्री सुरिंदर चौधरी और मंत्री जावेद राणा के साथ, अब्दुल्ला सुबह करीब नौ बजे अपने सरकारी आवास से निकले और कुछ किलोमीटर पैदल चलकर सचिवालय पहुंचे। इस दौरान बड़ी संख्या में व्यापारी वहां उपस्थित थे, जिन्होंने मुख्यमंत्री को माला पहनाई और पूरे रास्ते ढोल-नगाड़ों के साथ फूलों की वर्षा की और मिठाइयां बांटीं।
सुरक्षा व्यवस्था
मुख्यमंत्री के सचिवालय पहुंचने के दौरान उनके सुरक्षाकर्मियों को लगातार बढ़ती उत्साही भीड़ को संभालने में कठिनाई का सामना करना पड़ा। जम्मू चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री के अध्यक्ष अरुण गुप्ता मुख्यमंत्री का स्वागत करने वाले पहले व्यक्तियों में से एक थे।
