जम्मू-कश्मीर में तिरंगा यात्रा: एक नई सोच का उदय
जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 और 35-ए के हटने के बाद तिरंगा यात्रा ने एक नई सोच का उदय किया है। मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला की भागीदारी और सुरक्षा बलों का सम्मान इस बदलाव का प्रतीक है। यह यात्रा न केवल उत्सव का संकेत है, बल्कि यह दर्शाती है कि अलगाववाद की राजनीति अब पीछे हट रही है। जानें इस यात्रा के महत्व और मुख्यमंत्री का संदेश क्या है।
Aug 12, 2025, 16:45 IST
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जम्मू-कश्मीर का बदलता परिदृश्य
जम्मू-कश्मीर का वर्तमान दृश्य यह दर्शाता है कि अनुच्छेद 370 और 35-ए के हटने के बाद इस केंद्र शासित प्रदेश में महत्वपूर्ण बदलाव आए हैं। जिन नेताओं ने पहले चेतावनी दी थी कि आर्टिकल 370 को छेड़ने पर घाटी में तिरंगा नहीं लहराएगा, उन्हें आज की स्थिति देखनी चाहिए, जहां तिरंगा न केवल सरकारी भवनों पर, बल्कि हर घर, गली, चौक और डल झील के किनारों पर भी लहरा रहा है।
तिरंगा यात्रा का महत्व
स्वतंत्रता दिवस से पहले तिरंगा यात्राओं में विभिन्न आयु वर्ग और सामाजिक पृष्ठभूमि के लोगों की भागीदारी केवल उत्सव का प्रतीक नहीं है, बल्कि यह मानसिकता में आए बदलाव का संकेत है। मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला का तिरंगा यात्रा में शामिल होना और तिरंगे की गरिमा बनाए रखने का संकल्प लेना एक ऐतिहासिक क्षण है। यह उस राजनीति के बदलते स्वरूप को दर्शाता है, जो पहले विशेष दर्जे की रक्षा पर केंद्रित थी, लेकिन अब राष्ट्रीय एकता के प्रतीकों को अपनाने की ओर बढ़ रही है।
सुरक्षा बलों का सम्मान
उपराज्यपाल मनोज सिन्हा द्वारा पहलगाम में आतंकवादी हमले का प्रतिशोध लेने वाले सैनिकों और सुरक्षाबलों का सम्मान करना यह दर्शाता है कि सुरक्षा, राष्ट्र गौरव और जनभावना अब एक ही धारा में बह रही हैं। ऑपरेशन सिंदूर और ऑपरेशन महादेव केवल सैन्य कार्रवाई नहीं, बल्कि जनता के आत्मविश्वास को पुनर्स्थापित करने के प्रतीक बन चुके हैं। जम्मू-कश्मीर की तिरंगा यात्राएँ केवल रंगीन आयोजन नहीं हैं, बल्कि यह संदेश देती हैं कि अलगाववाद और भय की राजनीति अब पीछे हट रही है, और उसकी जगह एक खुला, आत्मविश्वासी और राष्ट्र से जुड़ा कश्मीर ले रहा है।
मुख्यमंत्री का संदेश
जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने नागरिकों से अपील की है कि वे राष्ट्रीय ध्वज को ऊंचाइयों तक ले जाने का प्रयास करें और इसकी गरिमा बनाए रखने में योगदान दें। उन्होंने तिरंगा रैली में कहा, 'हमें राष्ट्रीय ध्वज के सम्मान और गरिमा को बनाए रखने में योगदान देना चाहिए।' अब्दुल्ला ने यह भी कहा कि राष्ट्रीय ध्वज केवल आधिकारिक समारोहों तक सीमित नहीं होना चाहिए।
राष्ट्रीय ध्वज का महत्व
उन्होंने आगे कहा, 'हमें राष्ट्रीय ध्वज को ऊंचाइयों तक ले जाने का प्रयास करना चाहिए और उन लोगों के पदचिह्नों पर चलना चाहिए जिन्होंने इस ध्वज के सम्मान को बनाए रखने के लिए सर्वोच्च बलिदान दिया है।' कुछ साल पहले, राष्ट्रीय ध्वज केवल सरकारी इमारतों और निर्धारित आधिकारिक समारोहों में ही फहराया जा सकता था।'