जम्मू-कश्मीर में आतंकवादियों के लिए ड्रोन बन रहे हैं नई चुनौती

जम्मू-कश्मीर में आतंकवादी समूहों ने ड्रोन का उपयोग नए 'ओवर ग्राउंड वर्कर्स' के रूप में करना शुरू कर दिया है, जिससे सुरक्षा एजेंसियों में चिंता बढ़ गई है। यह बदलाव मानव रहित वायु यानों की ओर बढ़ रहा है, जो क्षेत्र की सुरक्षा के लिए एक नई चुनौती प्रस्तुत कर रहा है। अधिकारियों का कहना है कि ड्रोन का उपयोग निगरानी और रसद के लिए किया जा रहा है, जिससे आतंकवादियों की गतिविधियों पर नजर रखना और उन्हें नियंत्रित करना मुश्किल हो रहा है। जानें इस नई रणनीति के पीछे के कारण और इसके संभावित प्रभाव।
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जम्मू-कश्मीर में आतंकवादियों के लिए ड्रोन बन रहे हैं नई चुनौती

ड्रोन का बढ़ता उपयोग

जम्मू-कश्मीर में आतंकवादी संगठनों ने ड्रोन को नए 'ओवर ग्राउंड वर्कर्स' के रूप में अपनाया है, जिससे सुरक्षा एजेंसियों में चिंता बढ़ गई है। यह बदलाव मानव रहित वायु यानों की ओर बढ़ रहा है, जो क्षेत्र की सुरक्षा के लिए एक नई चुनौती प्रस्तुत कर रहा है। अधिकारियों का कहना है कि ओजीडब्ल्यू की मानव नेटवर्क पर निर्भरता कम हो गई है, क्योंकि सुरक्षा बलों के दबाव के कारण कई लोग गिरफ्तार हो चुके हैं या छिप गए हैं।


ड्रोन का निगरानी में उपयोग

कश्मीर, किश्तवाड़ और राजौरी के ऊंचे क्षेत्रों में छिपे आतंकवादी अब सैनिकों की गतिविधियों पर नजर रखने के लिए ड्रोन का उपयोग कर रहे हैं। यह पिछले आतंकवाद-रोधी अभियानों में सफलता की दर को प्रभावित करने वाला एक कारण है। कुछ मामलों में, ड्रोन जम्मू क्षेत्र के ऊपरी इलाकों में छिपे आतंकवादियों के लिए सूखा राशन भी पहुंचा रहे हैं।


ड्रोन का इतिहास और रणनीति

आतंकवादी समूहों ने जम्मू-कश्मीर में महत्वपूर्ण स्थलों को निशाना बनाने के लिए ड्रोन का उपयोग 27 जून, 2021 से शुरू किया। उस दिन दो मानवरहित हवाई यान जम्मू हवाई अड्डे की इमारतों से टकराए थे। 2017 के बाद, ड्रोन का उपयोग नशीली दवाओं की तस्करी और पंजाब में हथियार गिराने के लिए किया गया। अधिकारियों का कहना है कि आईएसआई ड्रोन तकनीक का उपयोग कर घुसपैठ के प्रयासों की सटीक स्थिति का आकलन कर रही है।


आईएसआई की नई रणनीतियाँ

आईएसआई अब नियंत्रण रेखा और अंतरराष्ट्रीय सीमा पर सेना की गतिविधियों पर नजर रखने के लिए ड्रोन का उपयोग कर रही है। हाल ही में, मई के तीसरे सप्ताह में, आईएसआई ने पीओके में लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद के शीर्ष आतंकवादियों की बैठक आयोजित की, जिसमें भर्ती बढ़ाने और घुसपैठ की कोशिशों की निगरानी के लिए ड्रोन के महत्व पर चर्चा की गई।


ऑपरेशन सिंदूर का प्रभाव

आईएसआई के इस कदम को 'ऑपरेशन सिंदूर' का जवाब माना जा रहा है, जिसमें भारतीय वायु सेना ने पीओके में आतंकवादी ठिकानों को निशाना बनाया था। ड्रोन तकनीक ने वैश्विक आतंकवाद में एक नया और खतरनाक अध्याय खोला है, जहां आतंकवादी समूह अब विभिन्न नापाक कार्यों के लिए यूएवी का उपयोग कर रहे हैं।


अमेरिकी सेना की रिपोर्ट

एक रिपोर्ट में कहा गया है कि आतंकवादी संगठन पिछले संघर्षों से सबक ले रहे हैं और अपने तरीकों में बदलाव कर रहे हैं। ड्रोन का पहला उपयोग इस्लामिक स्टेट ने इराक में सैन्य अभियानों के दौरान किया था। अधिकारियों का कहना है कि ड्रोन तकनीक में तेजी से हो रही प्रगति आतंकवादी संगठनों को नए हमलों की योजना बनाने में मदद कर रही है।