जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद वित्तपोषण नेटवर्क का भंडाफोड़

आतंकवादियों के वित्तपोषण का रहस्य
आतंकियों को आतंक फैलाने के लिए धन कहां से मिलता है? इनका वित्तपोषण नेटवर्क बेहद गुप्त और तकनीकी होता है। कई बार ये आतंकी भारत में आतंक फैलाने के लिए हवाला के पैसे का सहारा लेते हैं, और ये पैसे भारत में ही मौजूद पाकिस्तान के समर्थकों द्वारा पहुंचाए जाते हैं। हाल ही में ऑपरेशन महादेव के तहत पहलगाम में तीन संदिग्धों को मार गिराया गया। अब कश्मीर में सक्रिय आतंकवादियों की वित्तीय जड़ों को समाप्त करने के लिए पुलिस सक्रिय हो गई है.
बड़े आतंकवादी वित्तपोषण नेटवर्क का खुलासा
जम्मू-कश्मीर पुलिस की खुफिया इकाई ने दिल्ली में एक बड़े आतंकवादी वित्तपोषण नेटवर्क का पर्दाफाश करने का दावा किया है। प्रतिबंधित लश्कर ए तैयबा (एलईटी) के वित्तीय केंद्रों पर की गई इस कार्रवाई में दो संदिग्धों को गिरफ्तार किया गया है। एजेंसी ने बुधवार को यह जानकारी दी।
एजेंसी के प्रवक्ता ने बताया कि नई दिल्ली के लाजपत नगर में 'शालीमार टेक्सटाइल्स' नामक एक प्रतिष्ठान पर छापेमारी की गई। उन्होंने कहा कि इस छापेमारी का उद्देश्य सीमा पार से आतंकवाद को वित्तपोषित करने वाले एक सिंडिकेट को समाप्त करना था।
प्रवक्ता ने बताया कि छापे के लिए श्रीनगर में एनआईए अधिनियम के तहत एक विशेष न्यायाधीश से तलाशी वारंट प्राप्त किया गया था। इस मामले में नियंत्रण रेखा के पार बैठे लश्कर के आकाओं और कमांडरों द्वारा रची गई एक खौफनाक साजिश का पर्दाफाश हुआ है, जो खाड़ी देशों और अन्य स्थानों पर बसे पाकिस्तानी नागरिकों के साथ मिलकर तीर्थयात्रियों, व्यापारियों और प्रवासियों के वेश में कूरियर नेटवर्क के माध्यम से साजिश रच रहे थे.
आरोपियों की पहचान
प्रवक्ता ने बताया कि जम्मू-कश्मीर के बडगाम का निवासी मोहम्मद अयूब भट लाजपत नगर में 'शालीमार टेक्सटाइल्स' नामक एक व्यवसायिक प्रतिष्ठान चला रहा था। उन्होंने कहा कि भट वैध व्यापारी के रूप में काम कर रहा था और घाटी में लश्कर-ए-तैयबा की आतंकी गतिविधियों के लिए धन मुहैया करा रहा था।
प्रवक्ता ने कहा, 'श्रीनगर के बेमिना क्षेत्र का निवासी मोहम्मद रफीक शाह भी उसके साथ मिलकर काम कर रहा था.'