जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद के खिलाफ सुरक्षा बलों की कार्रवाई
उधमपुर में आतंकियों के साथ मुठभेड़
जम्मू-कश्मीर एक बार फिर आतंकवाद की कायराना हरकतों और सुरक्षा बलों के अदम्य साहस का गवाह बना है। उधमपुर जिले के मजालता क्षेत्र के सोआन गांव में सोमवार शाम को आतंकियों के साथ हुई मुठभेड़ में पुलिस के विशेष अभियान समूह (एसओजी) के जवान अमजद पठान शहीद हो गए। यह मुठभेड़ तब शुरू हुई जब सुरक्षाबलों ने जंगल के निकट इस दूरदराज़ इलाके में तीन आतंकवादियों की मौजूदगी की सूचना पर तलाशी अभियान आरंभ किया। ये आतंकी पाकिस्तान स्थित जैश-ए-मोहम्मद से जुड़े होने की संभावना है।
मुठभेड़ की स्थिति
शाम करीब छह बजे गोलीबारी शुरू हुई, जो कुछ समय तक चली। दुर्गम पहाड़ी क्षेत्र और अंधेरे के कारण रात में अभियान रोकना पड़ा, लेकिन पूरे इलाके को कड़े सुरक्षा घेरे में रखा गया। आतंकियों के भागने के सभी रास्ते बंद कर दिए गए और अतिरिक्त बलों की तैनाती की गई। प्रारंभिक गोलीबारी में एक आतंकी के घायल होने की संभावना जताई गई। मंगलवार सुबह होते ही एसओजी, सेना और सीआरपीएफ की संयुक्त टीम ने श्वान दस्ते की मदद से तलाशी अभियान फिर से शुरू किया। जम्मू के पुलिस महानिरीक्षक भीम सेन टूटी ने बताया कि सुरक्षा बल पूरी तरह से समन्वय के साथ काम कर रहे हैं और आतंकियों को हर हाल में समाप्त किया जाएगा।
कुपवाड़ा में बारूदी सुरंग विस्फोट
इस बीच, कुपवाड़ा जिले के त्रेहगाम क्षेत्र में एक बारूदी सुरंग विस्फोट में सेना के ‘13 जम्मू-कश्मीर लाइट इन्फैंट्री’ के हवलदार जुबैर अहमद शहीद हो गए। गंभीर रूप से घायल होने के बाद उन्हें सैन्य अस्पताल ले जाया गया, जहां चिकित्सकों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। यह घटना आतंकियों द्वारा बिछाए गए मौत के जाल की एक और भयावह मिसाल है।
काउंटर इंटेलिजेंस की कार्रवाई
आतंकवाद के खिलाफ व्यापक कार्रवाई के तहत जम्मू-कश्मीर पुलिस की काउंटर इंटेलिजेंस इकाई ने घाटी के सात जिलों में तड़के छापेमारी की। इन छापों का उद्देश्य आतंकवाद में संलिप्त तत्वों, आतंकियों का महिमामंडन करने वालों और कट्टरपंथ को बढ़ावा देने वाले नेटवर्क को बेनकाब करना है। श्रीनगर के नतिपोरा इलाके के एक कब्रिस्तान से हथियार और गोला-बारूद की बरामदगी ने आतंकियों की मानसिकता और उनकी नापाक रणनीति को उजागर किया।
आतंकवाद का सड़ा-गला ढांचा
उधमपुर से कुपवाड़ा और श्रीनगर तक फैली ये घटनाएं आतंकवाद के उस सड़े-गले ढांचे की परतें हैं, जिसे पाकिस्तान प्रायोजित नेटवर्क लगातार ज़िंदा रखने की कोशिश कर रहा है। आतंकियों का मकसद साफ है - डर फैलाना, शांति को बाधित करना और निर्दोषों व सुरक्षा बलों के खून से अपनी नाकाम सियासत को खाद देना। लेकिन हर मुठभेड़, हर शहादत उनके इस भ्रम को तोड़ती है कि वे कश्मीर की तक़दीर बदल सकते हैं।
सुरक्षा बलों की कार्रवाई का संदेश
सुरक्षा बलों की संयुक्त कार्रवाई यह स्पष्ट संदेश देती है कि अब कोई ‘सेफ ज़ोन’ नहीं बचेगा। जंगल हो या गांव, शहर हो या कब्रिस्तान, आतंक के हर अड्डे को खोजकर नष्ट किया जाएगा। काउंटर इंटेलिजेंस की छापेमारी और हथियारों की बरामदगी इस बात का संकेत है कि अब केवल आतंकवादी ही नहीं, बल्कि विचारधारा और प्रचार के ज़हर को भी जड़ से उखाड़ने की तैयारी है।
समाज में आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई
आज ज़रूरत इस बात की है कि आतंकवाद के खिलाफ यह लड़ाई सिर्फ सीमा पर नहीं, समाज के हर कोने में लड़ी जाए। जो लोग आतंकियों का महिमामंडन करते हैं, जो चुपचाप उनका साथ देते हैं, वे भी उतने ही दोषी हैं। शहीद अमजद पठान और जुबैर अहमद की कुर्बानी हमें याद दिलाती है कि यह लड़ाई अधूरी नहीं छोड़ी जा सकती। कश्मीर की धरती ने तय कर लिया है कि यहां बंदूक नहीं, संविधान चलेगा; यहां डर नहीं, हौसला जीतेगा।
