जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद के खिलाफ सख्त कार्रवाई: जेलों से लेकर अस्पतालों तक छापेमारी
आतंक-रोधी अभियान की नई दिशा
जम्मू-कश्मीर में आतंक-रोधी एजेंसियों ने हाल के दिनों में तेजी से कार्रवाई की है, जिससे यह स्पष्ट हो गया है कि प्रशासन अब 'सिस्टम के भीतर छिपे नेटवर्क' को समाप्त करने के लिए गंभीरता से काम कर रहा है। हालिया घटनाक्रम में, जम्मू की कोट भलवाल जेल में काउंटर इंटेलिजेंस (CIK) शाखा ने व्यापक छापेमारी की। यह जेल उन कट्टरपंथियों और अपराधियों का ठिकाना है जो सुरक्षा के लिहाज से संवेदनशील माने जाते हैं।
जेल के भीतर संभावित आतंकी नेटवर्क का भंडाफोड़
अधिकारियों के अनुसार, यह छापेमारी एक बड़े अभियान का हिस्सा है, जिसका उद्देश्य जेल के भीतर से संचालित संभावित आतंकी नेटवर्क और उनके बाहरी संपर्कों को तोड़ना है। यह कार्रवाई 10 नवंबर को दिल्ली के लाल किले में हुए विस्फोट और हाल ही में सामने आए 'सफेदपोश डॉक्टरों' के आतंकी मॉड्यूल से जुड़ी घटनाओं के संदर्भ में की गई है। सूत्रों के अनुसार, जेल के भीतर से निर्देशों के पारित होने और फंडिंग नेटवर्क के संचालन की आशंका ने इस कार्रवाई को आवश्यक बना दिया।
अस्पतालों में बढ़ी सुरक्षा
इसके अलावा, जम्मू के सरकारी मेडिकल कॉलेज (GMC) और एसएमजीएस अस्पताल में भी सुरक्षा को बढ़ाया गया है। मंगलवार को, कर्मचारियों, छात्रों और चिकित्सकों के लॉकर की तलाशी ली गई। प्राचार्य डॉ. आशुतोष गुप्ता ने बताया कि यह प्रक्रिया पारदर्शिता बढ़ाने और लॉकरों के आवंटन को सुव्यवस्थित करने के लिए है, लेकिन हालिया आतंकी मॉड्यूल के खुलासों के बाद यह कदम और भी महत्वपूर्ण हो गया है।
समन्वित छापे और गिरफ्तारी
श्रीनगर, कुलगाम और अनंतनाग में CIK ने चार स्थानों पर समन्वित छापे मारकर एक सरकारी चिकित्सक और उसकी पत्नी को हिरासत में लिया। उन पर सोशल मीडिया का दुरुपयोग कर कट्टरपंथ फैलाने और युवाओं को भड़काने का आरोप है। तलाशी के दौरान कई डिजिटल उपकरण जब्त किए गए। महिला संदिग्ध की भूमिका विशेष रूप से गंभीर मानी जा रही है।
सुरक्षा एजेंसियों की नई रणनीति
जम्मू-कश्मीर में चल रहे ऑपरेशनों को केवल 'रूटीन तलाशी' कहना गलत होगा। यह वह समय है जब आतंकवादी तंत्र ने नए रूप धारण कर लिए हैं। सुरक्षा एजेंसियों द्वारा कोट भलवाल जेल से लेकर मेडिकल कॉलेजों तक का यह व्यापक अभियान समय की मांग है।
अदृश्य नेटवर्क पर प्रहार
महत्वपूर्ण यह है कि एजेंसियाँ अब उन 'अदृश्य नेटवर्कों' पर प्रहार कर रही हैं जो सीधे तौर पर बंदूक नहीं उठाते, लेकिन आतंकवादियों के लिए समर्थन तैयार करते हैं। डॉक्टर, कर्मचारी और तकनीकी विशेषज्ञ—इनकी सामाजिक प्रतिष्ठा इन्हें खतरनाक बनाती है। इसलिए CIK की हालिया कार्रवाई को सिस्टम के भीतर छिपे वायरस के खिलाफ सर्जिकल स्ट्राइक कहा जा सकता है।
जेलों में निरीक्षण की आवश्यकता
कोट भलवाल जेल की छापेमारी ने यह साबित कर दिया है कि जेल की दीवारें आतंकवादी नेटवर्क को रोकने में सक्षम नहीं हैं। यह कार्रवाई दिखाती है कि आधुनिक आतंकवाद मोबाइल फोन और सोशल मीडिया के माध्यम से संचालित हो सकता है। इसलिए जेलों में इस तरह के कठोर निरीक्षण की आवश्यकता है।
नए सुरक्षा सिद्धांत की ओर बढ़ना
इन सर्च ऑपरेशनों की सराहना इसलिए भी आवश्यक है क्योंकि ये केवल गिरफ्तारी तक सीमित नहीं हैं; ये एक नए सुरक्षा सिद्धांत की ओर इशारा करते हैं। आज जम्मू-कश्मीर में जो कुछ हो रहा है, वह भारत की सुरक्षा संरचना को नए तरीके से परिभाषित करेगा।
