जम्मू-कश्मीर को पूर्ण राज्य का दर्जा बहाल करने की उम्मीदें बढ़ीं

जम्मू-कश्मीर के उप मुख्यमंत्री सुरिंदर चौधरी ने स्वतंत्रता दिवस पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से केंद्र शासित प्रदेश को पूर्ण राज्य का दर्जा बहाल करने की उम्मीद जताई है। उन्होंने 2019 में हुए विभाजन को अन्यायपूर्ण बताया और सरकार की कल्याणकारी योजनाओं का उल्लेख किया। पार्टी के प्रांतीय अध्यक्ष ने 2024 विधानसभा चुनाव में मिले जनादेश को भी जनता की असंतोष का संकेत बताया। मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने विपक्ष को एकजुट करने का प्रयास किया है ताकि इस मुद्दे पर संसद में विधेयक लाया जा सके।
 | 
जम्मू-कश्मीर को पूर्ण राज्य का दर्जा बहाल करने की उम्मीदें बढ़ीं

उप मुख्यमंत्री की आशा


जम्मू-कश्मीर के उप मुख्यमंत्री सुरिंदर चौधरी ने आशा व्यक्त की है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस स्वतंत्रता दिवस पर लाल किले से अपने संबोधन में केंद्र शासित प्रदेश को पूर्ण राज्य का दर्जा देने की घोषणा करेंगे।


2019 का निर्णय विवादास्पद

नेशनल कॉन्फ्रेंस की एक जनसभा में बोलते हुए चौधरी ने कहा कि 5 अगस्त 2019 को जम्मू-कश्मीर को मनमाने तरीके से दो केंद्र शासित प्रदेशों, जम्मू-कश्मीर और लद्दाख, में विभाजित किया गया था, जिसे जनता ने कभी स्वीकार नहीं किया। उन्होंने यह भी कहा कि पीएम मोदी और गृह मंत्री अमित शाह ने राज्य का दर्जा बहाल करने का वादा किया था, और अब वह समय आ गया है।


सरकार की उपलब्धियां

चौधरी ने उमर अब्दुल्ला सरकार की कुछ उपलब्धियों का उल्लेख किया, जिनमें शामिल हैं:



  • महिलाओं के लिए बसों में मुफ्त यात्रा

  • शादी सहायता राशि को ₹50,000 से बढ़ाकर ₹75,000 करना

  • 200 यूनिट मुफ्त बिजली

  • वरिष्ठ नागरिकों, विधवाओं और दिव्यांगजनों के लिए पेंशन

  • अन्य कल्याणकारी योजनाओं का कार्यान्वयन


जनता का संदेश और एनसी की मांग

पार्टी के प्रांतीय अध्यक्ष रतन लाल गुप्ता ने कहा कि 2024 विधानसभा चुनाव में एनसी-कांग्रेस गठबंधन को जनता का समर्थन मिला है, जो यह दर्शाता है कि लोग 2019 के निर्णय से असंतुष्ट हैं। उन्होंने लोकतांत्रिक जनादेश का सम्मान करने और पूर्ण राज्य का दर्जा बहाल करने की मांग की।


उमर अब्दुल्ला का विपक्ष को एकजुट करने का प्रयास

मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने कांग्रेस प्रमुख मल्लिकार्जुन खरगे सहित 42 राजनीतिक दलों के नेताओं को पत्र लिखकर केंद्र पर दबाव बनाने की अपील की है, ताकि संसद के मौजूदा सत्र में इस मुद्दे पर विधेयक पेश किया जा सके। उन्होंने कहा कि यह कोई रियायत नहीं, बल्कि आवश्यक संवैधानिक सुधार है, क्योंकि किसी राज्य का दर्जा घटाकर केंद्र शासित प्रदेश बनाना लोकतांत्रिक मूल्यों के खिलाफ है।