जम्मू-कश्मीर और हिमाचल प्रदेश में भूस्खलन से चार की मौत, भारी बारिश का कहर

भूस्खलन और बारिश से तबाही
सोमवार को जम्मू-कश्मीर और हिमाचल प्रदेश के कुछ क्षेत्रों में भूस्खलन और मूसलाधार बारिश ने भारी तबाही मचाई। इस आपदा में एक पांच साल का बच्चा सहित चार लोगों की जान चली गई और कई अन्य घायल हुए। जम्मू-कश्मीर के रियासी जिले में वैष्णो देवी मंदिर के पुराने मार्ग पर एक बड़ा भूस्खलन हुआ, जिसमें 70 वर्षीय तीर्थयात्री की मृत्यु हो गई और नौ लोग घायल हुए। इससे पहले, हिमाचल प्रदेश में बादल फटने से कई लोगों की जान गई थी, जबकि आंध्र प्रदेश में भी लगातार बारिश के कारण जनहानि हुई है।
गृह मंत्रालय ने लोकसभा में मानसून के दौरान हुई मौतों के आंकड़े प्रस्तुत किए हैं। 1 अप्रैल से 16 जुलाई के बीच देशभर में भारी बारिश के कारण कुल 1,297 मौतें हुईं, जिनमें सबसे अधिक आंध्र प्रदेश में 258, हिमाचल प्रदेश में 171, मध्य प्रदेश में 148 और बिहार में 101 मौतें शामिल हैं।
आर्थिक नुकसान और राहत उपाय
इस अवधि में 51,699 मवेशियों की मौत हुई, 92,663 घर क्षतिग्रस्त हुए और 154,394.27 हेक्टेयर फसल क्षेत्र प्रभावित हुआ। गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने बताया कि हिमाचल प्रदेश के लिए एक अंतर-मंत्रालयी केंद्रीय दल का गठन किया गया है, जो बाढ़, बादल फटने और भूस्खलन से हुए नुकसान का आकलन करेगा।
सांसदों ने संपत्ति और जान-माल के नुकसान के बारे में सवाल उठाए। मंत्रालय ने बताया कि भारत के मध्य और पश्चिमी हिस्सों में अत्यधिक बारिश हुई है, जिसके कारण बाढ़ की घटनाएँ भी हुई हैं। हालांकि, मंत्रालय ने स्पष्ट किया कि नुकसान का आंकड़ा केंद्रीय रूप से नहीं रखा जाता।
हिमाचल प्रदेश में 23,818 मवेशियों और 1,528 घरों को नुकसान हुआ, जबकि मध्य प्रदेश में 325 मवेशियों की मौत हुई और 986 घरों को नुकसान पहुँचा। असम में 29,714.89 हेक्टेयर फसल क्षेत्र को नुकसान हुआ। केंद्र सरकार ने प्रभावित लोगों की सहायता के लिए 22 राज्यों को ₹9578.4 करोड़ का केंद्रीय हिस्सा जारी किया है।
आपदा प्रबंधन की जिम्मेदारी
केंद्र ने कहा कि प्राकृतिक आपदाओं के मद्देनजर वित्तीय सहायता राहत के रूप में दी जाती है, न कि नुकसान की भरपाई के लिए। राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन नीति के अनुसार, आपदा प्रबंधन की मुख्य जिम्मेदारी संबंधित राज्य सरकारों की होती है। भारत सरकार के मानदंडों के अनुसार, राज्य सरकार को पहले से ही उपलब्ध एसडीआरएफ राशि से भूस्खलन प्रभावित क्षेत्रों में राहत उपाय करने होते हैं।
नोट
अधिकारिक पुष्टि का इंतजार है। भारतीय मीडिया चैनलों पर ऑनएयर हो रही खबरों के अनुसार इस खबर को प्रकाशित किया गया है।