जमानत पर रिहा हुई छात्रा, अदालत ने महाराष्ट्र सरकार की आलोचना की

जेल से रिहाई के बाद भावुक पल
भारत-पाकिस्तान के बीच तनाव के दौरान सोशल मीडिया पर भारत सरकार की आलोचना करने के कारण 15 दिनों से अधिक समय तक जेल में रहने के बाद, एक छात्रा मंगलवार रात को रिहा हुई। इस मौके पर वह और उसके परिवार के सदस्य भावुक हो गए।
उच्च न्यायालय का निर्णय
बंबई उच्च न्यायालय ने 19 वर्षीय इंजीनियरिंग छात्रा को जमानत दी और महाराष्ट्र सरकार की तीखी आलोचना की, यह कहते हुए कि सरकार ने उसके जीवन को बर्बाद करने का प्रयास किया। अदालत ने छात्रा के कॉलेज, सिंहगढ़ एकेडमी ऑफ इंजीनियरिंग, को भी फटकार लगाई, जिसने बिना उचित सुनवाई के उसे निष्कासित कर दिया।
रिहाई की प्रक्रिया
उच्च न्यायालय ने निष्कासन आदेश को निलंबित करते हुए यरवडा केंद्रीय कारागार के अधिकारियों को निर्देश दिया कि छात्रा को मंगलवार को रिहा किया जाए। जम्मू-कश्मीर की निवासी छात्रा को सभी औपचारिकताएं पूरी करने के बाद रात करीब 9:30 बजे जेल से बाहर निकाला गया।
परिवार का समर्थन
छात्रा के परिवार के सदस्य जेल के बाहर मौजूद थे, लेकिन उन्होंने मीडिया से दूरी बनाए रखी। उन्होंने केवल इतना कहा कि उन्हें संविधान और देश की कानूनी व्यवस्था पर भरोसा है।
विवाद की शुरुआत
यह विवाद तब शुरू हुआ जब छात्रा ने 7 मई को इंस्टाग्राम पर 'रिफॉर्मिस्तान' नामक अकाउंट से एक पोस्ट साझा की। हालांकि, उसने अपनी गलती का एहसास होते ही पोस्ट को हटा दिया और माफी मांगी।
गिरफ्तारी और निष्कासन
पोस्ट को हटाने के बावजूद, पुणे की कोंढवा पुलिस ने 9 मई को उसके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की और उसे गिरफ्तार कर लिया। बाद में उसे यरवडा जेल में न्यायिक हिरासत में भेजा गया और कॉलेज ने उसे तुरंत निष्कासित कर दिया।
उच्च न्यायालय में अपील
छात्रा ने अपने निष्कासन को चुनौती देते हुए उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया। अदालत ने सरकार की प्रतिक्रिया की कड़ी निंदा की और इसे अत्यधिक कठोर बताया।
परीक्षाओं के लिए व्यवस्था
अदालत ने छात्रा को तुरंत रिहा करने का आदेश दिया ताकि वह अपनी सेमेस्टर परीक्षाएं दे सके। कॉलेज को निर्देश दिया गया कि वह उसे हॉल टिकट प्रदान करे और सुरक्षा की व्यवस्था करे।
कॉलेज की प्रतिक्रिया
इंजीनियरिंग कॉलेज के प्राचार्य किशोर पाटिल ने कहा कि संस्थान ने छात्रा को प्रवेश पत्र जारी कर दिया है। हालांकि, उन्होंने यह बताने से इनकार कर दिया कि परीक्षा के दौरान छात्रा के लिए कोई विशेष व्यवस्था की गई है या नहीं।
अदालत की टिप्पणियाँ
अदालत ने कॉलेज के जल्दबाजी वाले दृष्टिकोण पर सवाल उठाते हुए कहा कि उसका उद्देश्य छात्रा को सुधारना होना चाहिए, न कि उसे दंडित करना। अदालत ने कहा कि उसे पहले गिरफ्तार नहीं किया जाना चाहिए था, खासकर जब उसने पोस्ट को तुरंत हटा दिया था।
कॉलेज का निर्णय
कॉलेज ने 9 मई के आदेश में कहा था कि उसने यह निर्णय संस्थान की बदनामी और राष्ट्र-विरोधी भावनाओं के कारण लिया। उच्च न्यायालय ने छात्रा को भविष्य में जिम्मेदारी से पेश आने की सलाह दी।