जमात-ए-इस्लामी की पंजीकरण बहाली: बांग्लादेश में चुनावी हलचल

बांग्लादेश चुनाव आयोग का निर्णय
बांग्लादेश चुनाव आयोग ने मंगलवार को जमात-ए-इस्लामी पार्टी का पंजीकरण फिर से बहाल कर दिया।
बांग्लादेश ने 1971 में पाकिस्तान के खिलाफ एक रक्तरंजित नौ महीने के युद्ध के माध्यम से स्वतंत्रता प्राप्त की थी, जिसमें भारत ने महत्वपूर्ण सहायता प्रदान की। जमात-ए-इस्लामी ने पाकिस्तान का समर्थन किया और आक्रमणकारी सेना के साथ खड़ा रहा।
पार्टी का पंजीकरण और कानूनी विवाद
जमात-ए-इस्लामी ने 5 नवंबर 2008 को चुनाव आयोग में एक आवेदन देकर राजनीतिक पार्टी के रूप में पंजीकरण कराया। हालांकि, 2009 में बांग्लादेश की सुप्रीम कोर्ट की उच्च न्यायालय ने एक याचिका के माध्यम से जमात-ए-इस्लामी पर प्रतिबंध लगा दिया। इस निर्णय के आधार पर, चुनाव आयोग ने अक्टूबर 2018 में जमात-ए-इस्लामी का पंजीकरण रद्द कर दिया।
शेख हसीना का पतन और चुनावी परिदृश्य
पिछले साल अगस्त में एक छात्र नेतृत्व वाले आंदोलन में पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना को सत्ता से हटा दिया गया। हसीना भारत भाग गईं, और नोबेल पुरस्कार विजेता मुहम्मद युनूस के नेतृत्व में एक अंतरिम सरकार का गठन हुआ।
जमात के नेताओं पर युद्ध अपराधों के लिए मुकदमा चलाया गया। हालाँकि, शेख हसीना के पतन के बाद स्थिति बदल गई, जब जमात-ए-इस्लामी ने अदालत में प्रतिबंध हटाने के लिए याचिका दायर की।
चुनाव की तैयारी
हाल ही में बांग्लादेश सुप्रीम कोर्ट की अपीलीय डिवीजन ने जमात-ए-इस्लामी पर से प्रतिबंध हटा दिया। इस फैसले के आधार पर, चुनाव आयोग ने पार्टी का पंजीकरण बहाल कर दिया, जिससे पार्टी को आगामी चुनावों में भाग लेने की अनुमति मिली।
इस महीने की शुरुआत में, मुहम्मद युनूस, अंतरिम सरकार के मुख्य सलाहकार, ने संकेत दिया कि बांग्लादेश में राष्ट्रीय चुनाव फरवरी 2026 के पहले भाग में होंगे।
चुनाव की संभावित तिथि
मुख्य सलाहकार ने कहा कि चुनाव अगले साल फरवरी के पहले भाग में होंगे। यदि सभी तैयारियाँ पूरी हो जाती हैं, तो चुनाव रमजान के शुरू होने से पहले भी हो सकते हैं।
तारीक रहमान ने मुख्य सलाहकार से चुनाव रमजान से पहले कराने का प्रस्ताव रखा। पार्टी की अध्यक्ष बेगम खालिदा जिया भी इसी समय चुनाव कराने के पक्ष में हैं।