जनक दीदी ने 40वीं राखी पर 60 पेड़ लगाकर मनाया त्योहार

रक्षाबंधन पर वृक्षारोपण की परंपरा
चंडीगढ़ को छोड़कर 1 जून 1985 को जनक दीदी ने आदिवासी लड़कियों के लिए एक संस्थान की स्थापना की थी। इस अवसर पर उन्होंने पहले रक्षाबंधन पर वृक्षारोपण की परंपरा की शुरुआत की।
इस बार, जनक दीदी ने अपने 40वें रक्षाबंधन पर, गांव सनावादिया की दुतनी पहाड़ी पर करंज, शीशम, नीम, पीपल और बरगद के 60 पौधे लगाए। इस पवित्र त्योहार को उनके पर्यावरण प्रेमी भाई-बहनों, परिवारों, युवाओं और बच्चों ने श्रद्धा और उत्साह के साथ मनाया। भाई-बहनों ने मिलकर इस त्योहार को पेड़ों की रक्षा के लिए समर्पित किया।
कार्यक्रम की शुरुआत और जनक दीदी की कहानी
कार्यक्रम की शुरुआत कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. भरत रावत ने शंखनाद से की। इसके बाद जनक दीदी, प्रिया शर्मा और डॉ. प्रकाश कौशल ने बहाई प्रार्थना और सामूहिक भजन गाए।
जनक दीदी ने अपने राखी भाई राजेन्द्र ओचानी के साथ पहली राखी पर पेड़ लगाने की कहानी साझा की। 1985 में मालवा एक्सप्रेस ट्रेन में यात्रा के दौरान, राजेन्द्र ने दीदी से आग्रह किया कि वह उन्हें राखी बांधें, क्योंकि उनके परिवार में कोई बहन नहीं थी।
प्रकृति की रक्षा के लिए एकता
जनक दीदी का मानना है कि पेड़ लगाना प्रकृति की रक्षा करना है। उनकी प्रेरणा से युवा पीढ़ी ने भी इस पहाड़ी पर पेड़ लगाने की शुरुआत की। डॉ. पुराणिक ने अपना 70वां जन्मदिन भी पेड़ लगाकर मनाया।
इस पवित्र त्योहार को मनाने में डॉ. प्रकाश कौशल की 100 वर्षीय माता जी से लेकर छोटे बच्चे, महिलाएं, पुरुष, किसान, डॉक्टर, इंजीनियर, शिक्षक और सामाजिक कार्यकर्ता शामिल हुए। यह एक बेहतरीन जनभागीदारी का उदाहरण है।
सस्टेनेबल राखी का संदेश
रक्षाबंधन का यह त्योहार भाई-बहन दोनों के लिए प्रकृति की रक्षा के लिए एकता का प्रतीक है। जनक दीदी के साथ इस सस्टेनेबल राखी में कई लोग शामिल हुए, जिन्होंने उत्साह से पौधे लगाए।
डॉ. भरत रावत ने जीरो वेस्ट राखी मनाने के लिए सभी को पटसन के बने थैले उपहार में दिए। जनक दीदी ने सभी का आभार व्यक्त किया।