जडेजा की आलोचना के पीछे छिपा असली मुद्दा क्या है?

भारतीय क्रिकेट टीम ने इंग्लैंड के खिलाफ लॉर्ड्स पर खेले गए तीसरे टेस्ट में 22 रनों से हार का सामना किया। इस मैच में रविंद्र जडेजा ने अकेले ही 61 रन बनाकर टीम को 170 तक पहुंचाया, लेकिन उनकी आलोचना की जा रही है। क्या जडेजा की बल्लेबाजी में कमी थी या टीम के अन्य बल्लेबाजों ने उनका साथ नहीं दिया? इस लेख में हम जडेजा की भूमिका और भारत की कमजोर अंतिम क्रम पर चर्चा करेंगे।
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जडेजा की आलोचना के पीछे छिपा असली मुद्दा क्या है?

भारत की हार और जडेजा की भूमिका

भारतीय क्रिकेट टीम ने इंग्लैंड के खिलाफ प्रतिष्ठित लॉर्ड्स क्रिकेट ग्राउंड पर अपना तीसरा टेस्ट खेला, जिसमें उन्हें 22 रनों से हार का सामना करना पड़ा, जबकि वे जीत के प्रबल दावेदार थे। तीसरे टेस्ट की दूसरी पारी में भारत की बल्लेबाजी पूरी तरह से ढह गई, और रविंद्र जडेजा 193 रनों के लक्ष्य का पीछा करते हुए एकमात्र योद्धा बने। जडेजा ने 61 रन बनाकर नाबाद रहते हुए भारत को 170 तक पहुंचाया, लेकिन फिर भी उन पर आलोचना का बोझ पड़ा। कई क्रिकेट दिग्गजों जैसे अनिल कुंबले, बलविंदर सिंह संधू, रविचंद्रन अश्विन और सौरव गांगुली ने उनकी सतर्कता की आलोचना की और कहा कि उन्हें अधिक आक्रामक बल्लेबाजी करनी चाहिए थी।


जडेजा पर आरोप और असली समस्या

लेकिन एक बड़ा सवाल यह है कि भारत के शीर्ष, मध्य और अंतिम क्रम के बल्लेबाजों का क्या हुआ? सभी पवेलियन में बैठे रहे, जबकि जडेजा अकेले ही लक्ष्य का पीछा कर रहे थे। यह भी उल्लेखनीय है कि इंग्लैंड ने गेंदबाजी में शानदार प्रदर्शन किया और भारत की सभी कमजोरियों का फायदा उठाकर जीत हासिल की। आक्रामक खेलना एक विकल्प हो सकता था, लेकिन जडेजा को कोई समर्थन नहीं मिला और भारत के कमजोर अंतिम क्रम के कारण यह विकल्प लागू करना बेहद कठिन था।


जडेजा का प्रदर्शन और सहयोग की कमी

जब जडेजा बल्लेबाजी करने आए, तब भारत का स्कोर 112/8 था और आक्रामक खेलना एक बड़ा जोखिम होता। उन्होंने नितीश कुमार रेड्डी, जसप्रीत बुमराह और मोहम्मद सिराज के साथ साझेदारी की, लेकिन उन्हें दूसरी ओर से वह स्थिरता नहीं मिली जिसकी उन्हें आवश्यकता थी। पहले पारी में जडेजा ने 72 रन बनाए और 54.96 की स्ट्राइक रेट से बल्लेबाजी की, जबकि दूसरी पारी में उन्होंने 61 रन बनाए और उनकी स्ट्राइक रेट 33.70 रही। पहले पारी में रन बने थे, लेकिन दूसरी पारी में स्थिति अलग थी।


भारत की कमजोर अंतिम क्रम

विस्डन की एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत का अंतिम क्रम सबसे कमजोर है, और पिछले पांच विकेटों के लिए औसत साझेदारी 18.93 है। यह देखना और भी चौंकाने वाला है कि वे पाकिस्तान, बांग्लादेश और वेस्ट इंडीज से पीछे हैं और ऑस्ट्रेलिया या इंग्लैंड के करीब भी नहीं हैं। यह सच है कि अंतिम क्रम के बल्लेबाजों को गेंदबाजी की जिम्मेदारी उठानी होती है, लेकिन क्या भारत का निचला क्रम जरूरत पड़ने पर रन बना सकता है?