जगन्नाथ रथ यात्रा पर विवाद: परंपरा और शास्त्रों का उल्लंघन
मुख्य बिंदु
परंपरा का उल्लंघन: मंदिर प्रशासन का कहना है कि कुछ स्थानों पर रथ यात्रा शास्त्रों और पारंपरिक तिथियों के विपरीत आयोजित की जा रही है।
मर्यादा की रक्षा: पीएमओ को भेजे गए संदेश में यह स्पष्ट किया गया है कि सदियों पुरानी धार्मिक मान्यताओं और परंपराओं को बनाए रखना आवश्यक है।
गजपति महाराजा का बयान
पुरी के गजपति महाराजा दिब्यसिंह देव ने सोमवार को अंतरराष्ट्रीय कृष्णभावनामृत संघ (इस्कॉन) पर श्री जगन्नाथ संस्कृति के खिलाफ 'गलत जानकारी' फैलाने का आरोप लगाया। उन्होंने धार्मिक विद्वानों और भक्तों से 'असमय' रथ यात्रा का विरोध करने की अपील की। 'जगन्नाथ संस्कृति' का अर्थ ओडिशा के प्रमुख देवता भगवान जगन्नाथ की पूजा से जुड़ी परंपराओं और मान्यताओं से है।
प्रधानमंत्री का ध्यान आकर्षित
गजपति महाराजा ने इस्कॉन द्वारा भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा 'गैर परंपरागत तिथियों पर' आयोजित करने की ओर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का ध्यान आकर्षित किया। एक अधिकारी ने बताया कि इस्कॉन ने महाराजा को सूचित किया है कि व्यवस्थागत समस्याओं के कारण विभिन्न देशों में एक ही तिथि पर रथ यात्रा का आयोजन संभव नहीं है।
शास्त्रों का पालन न करने का आरोप
श्री जगन्नाथ मंदिर प्रशासन (एसजेटीए) के मुख्य प्रशासक अरबिंद पाढ़ी ने कहा कि गजपति महाराजा ने इस्कॉन द्वारा निर्धारित समय पर रथ यात्रा न निकालने की जानकारी पीएमओ को दी है। महाराजा ने इस्कॉन पर आरोप लगाया कि वे शास्त्रों के अनुसार रथ यात्रा का आयोजन नहीं कर रहे हैं।
जगन्नाथ संस्कृति की पवित्रता पर खतरा
महाराजा ने कहा कि समय से पहले रथ यात्रा का आयोजन एक गंभीर विचलन है। इस्कॉन शास्त्रों और श्री जगन्नाथ परंपरा का उल्लंघन कर रहा है, जिससे जगन्नाथ संस्कृति की पवित्रता कमजोर हो रही है। उन्होंने ओडिशा और देशवासियों को इस विषय पर जागरूक रहने की सलाह दी।
मूल पीठ की परंपरा
गजपति महाराजा ने कहा कि ओड़िया लोग शांतिप्रिय और सहिष्णु होते हैं, लेकिन अब समय आ गया है कि धार्मिक विद्वान और भक्त अपने विचार स्पष्ट रूप से व्यक्त करें। उन्होंने कहा कि चुप रहने से विचलन को बढ़ावा मिल सकता है।
उन्होंने इस्कॉन के साथ कई बार बातचीत की, लेकिन कोई समाधान नहीं निकला। उन्होंने जोर दिया कि रथ यात्रा का पालन शास्त्रों और पुरी के श्री जगन्नाथ मंदिर की परंपराओं के अनुसार होना चाहिए।
