जगदीप धनखड़ के इस्तीफे के पीछे की कहानी और सरकार की प्रतिक्रिया
जगदीप धनखड़ के इस्तीफे ने राजनीतिक हलकों में हलचल मचा दी है। सूत्रों के अनुसार, उन्होंने सरकार से तीन महत्वपूर्ण मांगें की थीं, जिन्हें ठुकरा दिया गया। इसके परिणामस्वरूप, उन्हें इस्तीफा देना पड़ा और उनके कार्यालय पर ताला लग गया। इस बीच, बीजेपी अब चाहती है कि उनकी पार्टी से कोई उपराष्ट्रपति बने, जिससे उनकी छवि को नुकसान न पहुंचे। जानिए इस पूरे घटनाक्रम के पीछे की सच्चाई और बीजेपी की रणनीति।
Jul 24, 2025, 18:32 IST
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उपराष्ट्रपति का इस्तीफा और उसके कारण
जगदीप धनखड़ के इस्तीफे के बाद से कई चर्चाएं शुरू हो गई हैं। सूत्रों के अनुसार, उन्होंने सरकार से तीन महत्वपूर्ण मांगें की थीं, जिन्हें मोदी सरकार ने अस्वीकार कर दिया। इस अस्वीकृति के बाद स्थिति इतनी बिगड़ गई कि उन्हें इस्तीफा देना पड़ा। उनके कार्यालय पर ताला लग गया है और उन्हें सरकारी आवास खाली करने का नोटिस भी मिल चुका है। हालांकि, उन्होंने स्वास्थ्य कारणों का हवाला दिया था, लेकिन अब यह तर्क कमजोर पड़ता दिख रहा है। सरकार और उपराष्ट्रपति के बीच तनाव की खबरें सामने आ रही हैं, और उनकी मांगों को जानकर आप भी चौंक जाएंगे। कहा जा रहा है कि धनखड़ का मामला सत्यपाल मलिक जैसा हो सकता है। सरकार के पास उनके संबंध में कुछ फाइलें हैं, जो भविष्य में सामने आ सकती हैं।
धनखड़ की तीन प्रमुख मांगें
धनखड़ के वो 3 डिमांड
जगदीप धनखड़ ने उपराष्ट्रपति बनने के एक साल बाद अपने कार्यालय और संसद टीवी में रिश्तेदारों की भर्ती शुरू की, जिससे विवाद उत्पन्न हुआ। सूत्रों के अनुसार, धनखड़ और सरकार के बीच कई बार तनाव उत्पन्न हुआ, विशेषकर जब अमेरिकी उपराष्ट्रपति जेडी वेंस भारत आए थे। धनखड़ ने खुद को उपराष्ट्रपति बताते हुए वेंस से उच्च-स्तरीय बैठक करने की इच्छा जताई।
अप्रैल में, जब जेडी वेंस भारत आए थे, तो उन्होंने पीएम मोदी से मुलाकात की। लेकिन धनखड़ इस बात पर अड़े थे कि वे उपराष्ट्रपति हैं और वेंस उनके समकक्ष हैं, इसलिए उन्हें उनसे मिलना चाहिए। एक प्रमुख कैबिनेट मंत्री ने उन्हें समझाया कि वेंस राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का संदेश लेकर आए हैं, इसलिए पीएम मोदी से मिलना उचित है।
धनखड़ ने यह भी चाहा कि उनके कार्यालय में प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति की तस्वीरों की तरह उनकी भी तस्वीर लगाई जाए। इसके अलावा, उन्होंने अपने काफिले में मर्सिडीज बेंज जैसी कारें शामिल करने की इच्छा जताई।
इसके बाद, ऑपरेशन सिंदूर पर चर्चा के दौरान और दो जजों के खिलाफ महाभियोग लाने की उनकी जिद ने सरकार को मजबूर कर दिया। हालांकि, सोशल मीडिया पर यह दावा किया गया कि सरकार ने भी उनके खिलाफ महाभियोग लाने की तैयारी कर ली थी। लेकिन धनखड़ ने खुद इस्तीफा देना उचित समझा। यदि सरकार की ओर से कोई कार्रवाई होती, तो उन्हें मिलने वाली सुविधाएं प्रभावित होतीं।
बीजेपी की उपराष्ट्रपति चयन की रणनीति
बीजेपी क्यों अपना राष्ट्रपति चाहती है
बीजेपी अब चाहती है कि उनकी पार्टी से कोई उपराष्ट्रपति बने। इस पूरे घटनाक्रम ने सरकार की छवि को नुकसान पहुंचाया है। संसद की कार्यवाही शुरू होते ही उपराष्ट्रपति का इस्तीफा देना एक अनूठा मामला है। उपराष्ट्रपति राज्यसभा का सभापति भी होता है, जिससे सरकार पर सवाल उठने लगे हैं। विपक्ष ने भी इस पर निशाना साधा है। कई नामों की चर्चा हो रही है, लेकिन बीजेपी अपने ही कार्यकर्ता को उपराष्ट्रपति बनाना चाहती है। गठबंधन से चुने जाने पर किसी मुद्दे पर पेंच फंस सकता है, इसलिए बीजेपी ने एक ऐसा व्यक्ति चुनने की कोशिश की है जो पार्टी का कट्टर समर्थक हो।