जगदीप धनखड़ का इस्तीफा: राजनीतिक हलचल और स्वास्थ्य कारणों का प्रभाव

जगदीप धनखड़ का इस्तीफा और राजनीतिक प्रतिक्रियाएँ
जगदीप धनखड़ ने अपने पद से इस्तीफा देते ही राजनीतिक माहौल में हलचल मचा दी। स्वास्थ्य कारणों का हवाला देते हुए उपराष्ट्रपति पद से उनका अचानक इस्तीफा विपक्षी दलों, विशेषकर कांग्रेस, के लिए चर्चा का विषय बन गया है। कांग्रेस का मानना है कि "उनके इस्तीफे के पीछे कुछ गहरा कारण हो सकता है।" इस संदर्भ में, कांग्रेस ने कहा कि धनखड़ का इस्तीफा उनके बारे में कई सवाल उठाता है और यह उन लोगों की नीयत पर भी प्रश्नचिन्ह लगाता है जिन्होंने उन्हें इस पद तक पहुँचाया।
मुखर उपराष्ट्रपति और न्यायपालिका पर प्रहार
जगदीप धनखड़, जो अपने मुखर व्यक्तित्व के लिए जाने जाते हैं, ने न्यायपालिका के शक्तियों के पृथक्करण पर तीखा प्रहार किया। उनके कार्यकाल के दौरान, राज्यसभा में विपक्ष के साथ उनका टकराव अक्सर होता रहा। 74 वर्षीय धनखड़ ने सोमवार को स्वास्थ्य कारणों का हवाला देते हुए उपराष्ट्रपति पद से इस्तीफा दिया। उन्होंने हाल ही में कहा था कि ईश्वर ने चाहा तो वह सही समय पर सेवानिवृत्त होंगे।
सत्तारूढ़ गठबंधन के लिए झटका
धनखड़ का इस्तीफा सत्तारूढ़ गठबंधन के लिए एक बड़ा झटका है, जिसने लोकसभा में इसी तरह का नोटिस प्रायोजित किया था। वह 2022 में उपराष्ट्रपति चुनाव में भाजपा के उम्मीदवार थे और अपने कार्यकाल के दौरान इस्तीफा देने वाले तीसरे उपराष्ट्रपति बने।
कांग्रेस से जुड़े धनखड़ का राजनीतिक सफर
धनखड़ को विपक्ष ने उच्च सदन के सभापति के रूप में पक्षपातपूर्ण आचरण का आरोप लगाया। उन्होंने 2008 में भाजपा में शामिल होने से पहले जनता दल और कांग्रेस के साथ काम किया। उन्होंने राजस्थान में जाट समुदाय को ओबीसी का दर्जा दिलाने के लिए भी प्रयास किए।
कृषि मुद्दों पर धनखड़ की सक्रियता
धनखड़ ने किसानों के मुद्दों पर भी सक्रियता दिखाई। उपराष्ट्रपति बनने के बाद, उन्होंने किसानों से मुलाकात की और उन्हें खाद्य प्रसंस्करण और विपणन में कदम रखने की सलाह दी। उन्होंने मोदी सरकार की आलोचना करते हुए कहा कि किसानों के साथ किए गए वादे पूरे नहीं हुए हैं।
धनखड़ का प्रारंभिक जीवन और शिक्षा
जगदीप धनखड़ का जन्म 18 मई, 1951 को राजस्थान के झुंझुनू जिले के किठाना गांव में हुआ। उन्होंने चित्तौड़गढ़ के सैनिक स्कूल में छात्रवृत्ति पर शिक्षा प्राप्त की।