छत्तीसगढ़ में सुरक्षाकर्मियों की आत्महत्या की alarming रिपोर्ट

छत्तीसगढ़ में अर्धसैनिक बलों के 177 सुरक्षाकर्मियों की आत्महत्या की चौंकाने वाली रिपोर्ट सामने आई है। यह रिपोर्ट कई गंभीर सवाल उठाती है, जिसमें आत्महत्या के कारण और जांच प्रक्रिया शामिल हैं। उपमुख्यमंत्री विजय शर्मा ने बताया कि आत्महत्या के मामलों में पारिवारिक और व्यक्तिगत कारण प्रमुख हैं। जानें इस मुद्दे पर और क्या जानकारी मिली है।
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छत्तीसगढ़ में सुरक्षाकर्मियों की आत्महत्या की alarming रिपोर्ट

आत्महत्या की बढ़ती घटनाएं

भारतीय सेना के साथ-साथ देश की आंतरिक और बाहरी सुरक्षा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले अर्धसैनिक बलों के जवानों के बारे में एक चिंताजनक रिपोर्ट सामने आई है। यह रिपोर्ट कई गंभीर सवाल उठाती है।


छत्तीसगढ़ विधानसभा में राज्य सरकार ने बुधवार को जानकारी दी कि पिछले साढ़े छह वर्षों में अर्धसैनिक बलों के 177 सुरक्षाकर्मियों ने आत्महत्या की है।


सुरक्षाकर्मियों की आत्महत्या के आंकड़े

भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के विधायक अजय चंद्राकर के सवाल के लिखित उत्तर में उपमुख्यमंत्री विजय शर्मा ने सुरक्षाकर्मियों की आत्महत्या और हत्या के मामलों की जानकारी दी।


शर्मा के अनुसार, 2019 से 15 जून 2025 के बीच राज्य में 177 सुरक्षाकर्मियों ने आत्महत्या की।


आत्महत्या के मामलों का विवरण

इनमें से 26 सुरक्षाकर्मी केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ), 5 सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ), 3 भारत तिब्बत सीमा पुलिस (आईटीबीपी) और एक-एक सशस्त्र सीमा बल (एसएसबी), केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (सीआईएसएफ) और त्रिपुरा राइफल्स के थे।


अन्य आत्महत्या करने वाले सुरक्षाकर्मी छत्तीसगढ़ सशस्त्र बल, विशेष कार्य बल और होमगार्ड सहित राज्य पुलिस की विभिन्न शाखाओं से संबंधित थे।


नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में तैनाती

राज्य के नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में सीआरपीएफ, बीएसएफ और आईटीबीपी के जवानों की बड़ी संख्या में तैनाती की गई है।


उपमुख्यमंत्री के अनुसार, 2019 में 25, 2020 में 38, 2021 में 24, 2022 में 31, 2023 में 22, 2024 में 29 और 15 जून 2025 तक 8 सुरक्षाकर्मियों ने आत्महत्या की।


पिछले साढ़े छह वर्षों में अर्धसैनिक बलों के 18 सुरक्षाकर्मी हत्या की घटनाओं में शामिल रहे हैं, जिनमें आपसी विवाद की घटनाएं भी शामिल हैं।


जांच प्रक्रिया

उपमुख्यमंत्री शर्मा, जो गृह विभाग का कार्यभार भी संभालते हैं, ने बताया कि हर आत्महत्या के मामले में जांच की जाती है।


जांच के दौरान विभागीय अधिकारियों, मृतक के परिजनों और अन्य गवाहों के बयान लिए जाते हैं और उसके आधार पर समीक्षा की जाती है।


आत्महत्या के कारण

जांच में यह पाया गया है कि आत्महत्या के मामलों में मुख्यतः पारिवारिक, व्यक्तिगत, शराब सेवन और स्वास्थ्य संबंधी कारण शामिल होते हैं।


शर्मा ने कहा कि सभी पुलिस अधीक्षक और सैन्य अधिकारी अपने अधीनस्थों को मानसिक रूप से मजबूत बनाने के लिए कई कल्याणकारी गतिविधियों का आयोजन कर रहे हैं।