छत्तीसगढ़ के अपमानजनक गांवों के नाम बदलने की प्रक्रिया शुरू

छत्तीसगढ़ में आज भी कई गांवों के नाम ऐसे हैं जो जातिसूचक और अपमानजनक हैं, जिससे स्थानीय निवासियों को शर्मिंदगी का सामना करना पड़ता है। राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने इस मुद्दे पर संज्ञान लेते हुए नाम बदलने की प्रक्रिया शुरू करने का निर्देश दिया है। ग्रामीणों का कहना है कि उन्हें अपने गांवों से गर्व होना चाहिए। जानें इस विषय पर और क्या हो रहा है और कौन से गांवों के नाम बदले जाएंगे।
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छत्तीसगढ़ में अपमानजनक गांवों के नाम

छत्तीसगढ़ में आज भी कई गांव ऐसे हैं जिनके नाम सुनकर लोग असहज हो जाते हैं। जातिसूचक और अपमानजनक नामों के कारण न केवल सामाजिक संवेदनशीलता पर सवाल उठते हैं, बल्कि यह स्थानीय निवासियों के लिए मानसिक पीड़ा का कारण भी बनते हैं। राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने इस गंभीर मुद्दे पर ध्यान दिया है।


गांवों के नामों का सामाजिक प्रभाव

भारत की स्वतंत्रता के 78 साल बाद भी, छत्तीसगढ़ में ऐसे सैकड़ों गांव हैं जिनके नाम सुनकर लोग शर्मिंदा होते हैं। इन नामों के कारण स्थानीय लोगों को न केवल सामाजिक जीवन में कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है, बल्कि यह उनके रोजगार और विवाह संबंधों में भी बाधा डालते हैं।


नकटी गांव का उदाहरण

नया रायपुर के निकट स्थित नकटी गांव इस समस्या का एक प्रमुख उदाहरण है। यहां 'नकटी' शब्द का अर्थ है नाक कटी स्त्री, जो अपमानजनक है। गांव के सरपंच बिहारी यादव ने बताया कि उन्होंने इस नाम को बदलकर 'सम्मानपुर' करने का प्रस्ताव पास किया है और अब सरकारी मंजूरी का इंतजार कर रहे हैं।


जातिगत नामों की सूची

छत्तीसगढ़ के विभिन्न जिलों में कई गांवों के नाम आज भी जातिगत और अपमानजनक हैं, जैसे चमार टोला, भंगी बस्ती, और चुड़ैलझरिया। ग्रामीणों का मानना है कि उन्हें अपने गांवों से गर्व होना चाहिए, न कि शर्मिंदगी।


मानवाधिकार आयोग की कार्रवाई

राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के हस्तक्षेप के बाद, प्रशासन ने सभी जिला कलेक्टरों को निर्देश दिए हैं कि वे अपने जिलों में ऐसे गांवों की सूची तैयार करें। ग्राम सभाओं से नाम बदलने के प्रस्तावों को जल्द ही लागू किया जाएगा।


ग्रामीणों की अपेक्षाएं

स्थानीय निवासियों का कहना है कि इन अपमानजनक नामों से उनकी पहचान कमजोर होती है। उन्होंने स्पष्ट किया कि वे अपने गांवों से प्यार करते हैं, लेकिन नाम ऐसा होना चाहिए जिसे गर्व से बोला जा सके। उम्मीद है कि जल्द ही छत्तीसगढ़ के गांवों को नए और सम्मानजनक नाम मिलेंगे।