छतरपुर में चमत्कारी माता का दरबार: कैंसर का इलाज करने का दावा

छतरपुर के ईशानगर में एक छोटे से मंदिर में माता का दरबार सजाया गया है, जहां एक युवती जड़ी-बूटियों से युक्त पानी के माध्यम से कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों का इलाज करने का दावा कर रही है। हर रविवार और बुधवार को बड़ी संख्या में लोग यहां पहुंचते हैं, उम्मीद लेकर कि उनका इलाज होगा। इस चमत्कारी स्थान पर सुरक्षा की चिंता भी बढ़ रही है, क्योंकि भारी भीड़ के कारण हादसे का डर बना हुआ है। जानें इस अद्भुत दरबार की पूरी कहानी।
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छतरपुर में चमत्कारी माता का दरबार: कैंसर का इलाज करने का दावा

चमत्कारी माता का दरबार


छतरपुर से 25 किलोमीटर दूर ईशानगर के पास स्थित चिनगुवां गांव के जंगल में एक छोटे से मंदिर में माता का दरबार सजाया गया है। यहां एक युवती मौन धारण कर माता के रूप में विराजमान है। भगवाधारी यह युवती और उनके अनुयायी जड़ी-बूटियों से युक्त पानी के माध्यम से गंभीर बीमारियों का इलाज करने का दावा कर रहे हैं। उनका कहना है कि इस पानी से कैंसर जैसी बीमारी को 14 हफ्तों में ठीक किया जा सकता है।


लोगों का विश्वास और भीड़

यहां आने वाले लोगों का मानना है कि जिन बीमारियों का इलाज अन्यत्र संभव नहीं है, उनका इलाज यहां किया जा सकता है। स्थानीय लोगों का दावा है कि यहां 172 प्रकार की बीमारियों का सफल इलाज होता है। हर रविवार और बुधवार को बड़ी संख्या में लोग यहां पहुंचते हैं, यहां तक कि कैंसर के अंतिम चरण के रोगी भी उम्मीद लेकर आते हैं।


कैंसर के मरीजों को माता के हाथों से जड़ी-बूटियों का पानी पीना और आशीर्वाद लेना होता है, जबकि घावों के लिए जड़ी-बूटियों का लेप दिया जाता है। लोग मध्यप्रदेश, उत्तरप्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान, दिल्ली, हरियाणा और अन्य राज्यों से यहां इलाज कराने आते हैं।


रुकने की व्यवस्था और स्थानीय व्यवसाय

यहां रुकने की कोई व्यवस्था नहीं होने के कारण लोग जंगल में पेड़ों पर झूला और मचान बनाकर रह रहे हैं। इस भीड़ के कारण स्थानीय टैक्सी, ऑटो और बस वालों की चांदी हो गई है। रविवार और बुधवार को हजारों वाहन यहां आते-जाते हैं।


छतरपुर की शालिनी यादव को इलाज के लिए विदेश जाना पड़ा, जबकि यहां हर प्रकार की बीमारी का इलाज करने का दावा किया जा रहा है। क्या यह अंधविश्वास में आस्था है?


कैंसर, टीवी, लकवा, हार्ट अटैक, पथरी, शुगर, ब्लड प्रेशर, बांझपन, और अन्य 172 प्रकार की बीमारियों के इलाज के लिए लोग यहां आ रहे हैं। दूर-दूर से आए लोग जंगल में झुग्गी बनाकर रह रहे हैं ताकि वे नियमित रूप से इलाज करवा सकें।


सुरक्षा की चिंता

यहां पीने के पानी के लिए चढ़ावे से एक बोर कराया गया है। खाने के लिए रोजाना भंडारा होता है जिसमें खिचड़ी का वितरण किया जाता है। महिलाएं भजन-कीर्तन कर रही हैं। यहां कई किलोमीटर तक लोग दिखाई देते हैं, लेकिन सुरक्षा के कोई ठोस इंतजाम नहीं हैं।


व्यवस्थापकों को यह चिंता है कि भारी भीड़ के कारण भगदड़ या कोई हादसा हो सकता है। लाखों की भीड़ को संभालने के लिए केवल चार पुलिसकर्मी मौजूद हैं। व्यवस्थापकों का कहना है कि उन्होंने एसपी को आवेदन दिया है, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई।


अंधविश्वास पर ध्यान

Note : हम किसी भी प्रकार के अंधविश्वास को बढ़ावा नहीं दे रहे हैं और न ही समर्थन कर रहे हैं। हम केवल वहां दी जाने वाली जड़ी-बूटियों के बारे में जानकारी देना चाहते हैं।