छठ पूजा 2025: जानें कब है नहाय-खाय, खरना और अर्घ्य की तिथियाँ

छठ पूजा 2025 का पर्व 25 अक्टूबर से शुरू होकर 28 अक्टूबर तक चलेगा। इस महापर्व में महिलाएँ और पुरुष संतान के सुख-समृद्धि की कामना के लिए निर्जला व्रत रखते हैं। जानें इस पर्व की तिथियाँ, विधियाँ और विशेष महत्व। छठ पूजा का यह पर्व विशेष रूप से बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश और नेपाल में मनाया जाता है। जानें कैसे मनाते हैं नहाय-खाय, खरना और अर्घ्य।
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छठ पूजा 2025: जानें कब है नहाय-खाय, खरना और अर्घ्य की तिथियाँ

छठ पूजा 2025 की तिथियाँ और महत्व

छठ पूजा 2025: जानें कब है नहाय-खाय, खरना और अर्घ्य की तिथियाँ

छठ पूजा 2025Image Credit source: Unplash

छठ पूजा कब है? जानें तिथि और मुहूर्त: कार्तिक मास को व्रतों और त्योहारों का महीना माना जाता है। 20 अक्टूबर को देशभर में दिवाली का पर्व मनाया गया। अब लोक आस्था का महापर्व छठ पूजा की तैयारियाँ शुरू हो चुकी हैं। यह पर्व छठी मैया और सूर्य देव की पूजा का अनूठा अवसर है, जिसमें प्रकृति और आस्था का अद्भुत संगम देखने को मिलता है। इस अवसर पर महिलाएँ और पुरुष संतान के सुख-समृद्धि की कामना के लिए निर्जला व्रत रखते हैं।

छठ पूजा का यह पर्व चार दिनों तक मनाया जाता है। इसकी शुरुआत नहाय-खाय से होती है और यह उगते सूर्य को अर्घ्य देने के साथ समाप्त होता है। यह पर्व विशेष रूप से बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश और नेपाल में मनाया जाता है। आइए जानते हैं कि इस वर्ष छठ पूजा कब से शुरू हो रही है और नहाय-खाय, खरना और अर्घ्य की तिथियाँ क्या हैं।

छठ पूजा 2025 की तिथियाँ

पंचांग के अनुसार, इस साल छठ पूजा का आरंभ 25 अक्टूबर से होगा और यह 28 अक्टूबर तक चलेगा। 25 अक्टूबर को नहाय-खाय होगा, 26 अक्टूबर को खरना, 27 अक्टूबर को अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा, और 28 अक्टूबर को उदयागामी सूर्य को अर्घ्य देने के साथ यह पर्व समाप्त होगा।

छठ पूजा की विधि

पहला दिन: नहाय-खाय

इस दिन व्रती सूर्योदय से पहले गंगा या किसी पवित्र नदी में स्नान करते हैं। इसके बाद घर की सफाई की जाती है और चना दाल, कद्दू और चावल का प्रसाद तैयार किया जाता है। यह प्रसाद व्रती और उनके परिवार द्वारा ग्रहण किया जाता है। स्कंद पुराण के अनुसार, इस दिन से छठी मैया की कृपा प्रारंभ होती है।

दूसरा दिन: खरना

छठ पूजा के दूसरे दिन खरना मनाया जाता है। इस दिन व्रती लकड़ी के चूल्हे पर गुड़ की खीर और रोटी बनाते हैं। इसके बाद व्रती प्रसाद ग्रहण करते हैं और 36 घंटे का निर्जला व्रत प्रारंभ होता है। मान्यता है कि खरना के बाद छठी मैया घर में विराजमान होती हैं।

तीसरा दिन: डूबते सूर्य को अर्घ्य

तीसरे दिन निर्जला उपवास रखते हुए डूबते सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है। सूर्य देव को यह अर्घ्य बांस के सूप में फल, ठेकुआ और मिठाई के साथ अर्पित किया जाता है।

चौथा दिन: उदयागामी सूर्य को अर्घ्य

छठ पूजा के अंतिम दिन व्रती नदी किनारे उगते सूर्य को अर्घ्य देते हैं। इसके बाद वे सात या ग्यारह परिक्रमा करते हैं और फिर अपना व्रत खोलते हैं।

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