चेन्नई में बलात्कार मामले में बिरयानी विक्रेता को 30 साल की सजा

विशेष महिला अदालत का फैसला
चेन्नई की एक विशेष महिला अदालत ने सोमवार को बिरयानी विक्रेता ज्ञानशेखरन को दिसंबर 2024 में अन्ना विश्वविद्यालय परिसर में 19 वर्षीय छात्रा के साथ बलात्कार के मामले में दोषी ठहराते हुए बिना किसी छूट के कम से कम 30 साल के लिए आजीवन कारावास की सजा सुनाई। अदालत ने उस पर 90,000 रुपये का जुर्माना भी लगाया। न्यायाधीश एम राजलक्ष्मी ने 28 मई को ज्ञानशेखरन को दोषी ठहराया था और 11 अलग-अलग आरोपों के तहत सजा सुनाई, जो एक साथ चलेंगे। अदालत ने कहा कि अभियोजन पक्ष ने मामले को उचित संदेह से परे साबित कर दिया है।
अभियोजन पक्ष ने ज्ञानशेखरन के अपराध को स्थापित करने के लिए भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, आईटी अधिनियम और तमिलनाडु महिला उत्पीड़न रोकथाम अधिनियम के विभिन्न प्रावधानों का सहारा लिया। अदालत ने माना कि दिसंबर 2024 की घटना उचित संदेह से परे साबित हुई थी।
सजा के दौरान ज्ञानशेखरन का बयान
सजा सुनाए जाने के समय, ज्ञानशेखरन ने हल्की सजा की मांग की, यह कहते हुए कि वह अपने परिवार का एकमात्र कमाने वाला है। हालांकि, अभियोजन पक्ष ने इस दलील का विरोध किया और अधिकतम सजा देने की अपील की, जिसे न्यायाधीश ने स्वीकार कर लिया।
इस मामले ने राजनीतिक विवाद को जन्म दिया, जब ज्ञानशेखरन के कथित संबंधों को लेकर डीएमके पार्टी पर सवाल उठाए गए। मुख्यमंत्री एम के स्टालिन ने स्पष्ट किया कि ज्ञानशेखरन पार्टी का सदस्य नहीं बल्कि एक समर्थक था।
घटना का विवरण
यह घटना तब सामने आई जब पीड़िता ने 23 दिसंबर, 2024 को कोट्टूरपुरम के ऑल वूमेन पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज कराई। उसने आरोप लगाया कि ज्ञानशेखरन ने उसे धमकाया और उसके साथ यौन उत्पीड़न किया। इसके बाद उसे गिरफ्तार कर लिया गया।
तमिलनाडु पुलिस की सीसीटीएनएस वेबसाइट पर एफआईआर के लीक होने के बाद मामला और भी तूल पकड़ गया, जिससे लोगों में आक्रोश फैल गया। मद्रास उच्च न्यायालय ने जांच को एक विशेष जांच दल (एसआईटी) को सौंपा, जिसने लीक की भी जांच की। एसआईटी ने फरवरी में अपनी चार्जशीट दाखिल की, और मामला महिला अदालत में ले जाया गया।