चुंगी चाय बागान के श्रमिकों का वेतन वृद्धि के लिए प्रदर्शन

चुंगी चाय बागान के श्रमिकों ने उचित वेतन और लंबित अधिकारों की मांग को लेकर जोरदार प्रदर्शन किया। इस आंदोलन में 200 से अधिक श्रमिक शामिल हुए, जिन्होंने सरकार से 351 रुपये के दैनिक वेतन और भूमि पट्टों की मांग की। प्रदर्शनकारियों ने राजनीतिक बयानों और वास्तविकता के बीच के अंतर को उजागर किया और चेतावनी दी कि यदि उनकी मांगें पूरी नहीं हुईं, तो सत्तारूढ़ पार्टी को आगामी विधानसभा चुनावों में परिणाम भुगतने होंगे। जानें इस आंदोलन के पीछे की कहानी और श्रमिकों की प्रमुख मांगें।
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चुंगी चाय बागान के श्रमिकों का वेतन वृद्धि के लिए प्रदर्शन

चाय बागान श्रमिकों का आंदोलन


जोरहाट, 9 जुलाई: चुंगी चाय बागान के श्रमिकों ने उचित वेतन और लंबित अधिकारों की मांग को लेकर बागान कार्यालय का घेराव किया।


इस प्रदर्शन का नेतृत्व असम चाय मजदूर संघ (टिटाबोर चुंगी इकाई) ने किया, जिसमें 200 श्रमिकों ने दो घंटे तक 'अमर दाबी मानी लुक' के नारे लगाए।


उनकी प्रमुख मांगों में प्रतिदिन 351 रुपये के वेतन का कार्यान्वयन शामिल था। प्रदर्शनकारियों ने भूमि पट्टों के वितरण और चाय समुदाय को अनुसूचित जनजाति (ST) श्रेणी में मान्यता देने की भी मांग की।


टिटाबोर चाय श्रमिक संघ के एक सदस्य ने कहा, “हम श्रमिकों के वेतन में वृद्धि की मांग कर रहे हैं, हमें भूमि पट्टे चाहिए, और हम ST स्थिति चाहते हैं। सरकार ने 2014 में वेतन वृद्धि का वादा किया था, लेकिन हम अभी भी इंतजार कर रहे हैं। वे ‘विकास’ की बात करते हैं, लेकिन वह कहां है? चाय बागान श्रमिकों के लिए कोई विकास नहीं है।”


प्रदर्शनकारियों ने सरकार पर आरोप लगाया कि वह केवल चाय बागानों की भूमि पर ध्यान केंद्रित कर रही है, जबकि श्रमिकों की समस्याओं की अनदेखी कर रही है। उन्होंने राजनीतिक बयानों और वास्तविकता के बीच के अंतर की भी आलोचना की।


एक प्रदर्शनकारी ने कहा, “मंत्री जयंत मलाबारूआ ने एक बार कहा था कि चाय श्रमिक मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री के दिलों में हैं, लेकिन वास्तविकता में, हम ठंड में छोड़ दिए गए हैं।”


श्रमिकों ने अधिकारियों से उनकी चिंताओं को तुरंत और ठोस तरीके से हल करने की अपील की।


उन्होंने एक कड़ी चेतावनी भी दी कि यदि उनकी उचित मांगें पूरी नहीं की गईं, तो सत्तारूढ़ पार्टी को 2026 के असम विधानसभा चुनावों में परिणाम भुगतने होंगे।