चीन से फैला HMPV वायरस बेंगलुरु में मिला, स्वास्थ्य विभाग ने जारी की एडवाइजरी

बेंगलुरु में HMPV वायरस का पहला मामला सामने आया है, जो चीन से फैला है। स्वास्थ्य विभाग ने इस वायरस के लक्षणों और सावधानियों के बारे में जानकारी दी है। विशेषज्ञों का कहना है कि यह वायरस बच्चों और बुजुर्गों में गंभीर हो सकता है। दिल्ली में भी इस वायरस से निपटने के लिए एडवाइजरी जारी की गई है। जानें इस वायरस के बारे में और क्या सावधानियाँ बरतनी चाहिए।
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चीन से फैला HMPV वायरस बेंगलुरु में मिला, स्वास्थ्य विभाग ने जारी की एडवाइजरी

HMPV वायरस का पहला मामला बेंगलुरु में


बेंगलुरु। कोविड-19 महामारी के बाद अब HMPV नामक एक नए वायरस ने चीन में दस्तक दी है, और इसका पहला मामला बेंगलुरु में सामने आया है।


एक अस्पताल में आठ महीने की बच्ची में HMPV वायरस की पुष्टि हुई है। स्वास्थ्य विभाग ने बताया कि इस वायरस का परीक्षण उनकी लैब में नहीं किया गया है, लेकिन एक निजी अस्पताल से इसकी रिपोर्ट आई है, जिस पर संदेह करने का कोई कारण नहीं है।


HMPV आमतौर पर बच्चों में पाया जाता है, और सभी फ्लू के मामलों में से 0.7 प्रतिशत HMPV के होते हैं। हालांकि, इस वायरस के स्ट्रेन के बारे में अभी जानकारी नहीं मिली है।


ह्यूमन मेटान्यूमोवायरस या एचएमपीवी के लक्षण सामान्य सर्दी-जुकाम के समान होते हैं। यह खांसी, गले में खराश, नाक बहने और गले में खराश का कारण बन सकता है। छोटे बच्चों और बुजुर्गों में यह संक्रमण गंभीर हो सकता है।


HMPV से संक्रमित मरीजों में सांस लेने में कठिनाई और फ्लू जैसे लक्षण देखे जा रहे हैं। दिल्ली के मेडिकल अधिकारियों ने इस वायरस से संबंधित चुनौतियों का सामना करने के लिए एडवाइजरी जारी की है।


डॉ. वंदना बग्गा, हेल्थ सर्विस की डायरेक्टर जनरल, ने रविवार को मुख्य जिला चिकित्सा अधिकारियों के साथ बैठक की, जिसमें सांस से जुड़ी बीमारियों से निपटने की तैयारियों पर चर्चा की गई।


अस्पतालों को निर्देश दिया गया है कि वे इन्फ्लूएंजा जैसी बीमारियों के मामलों की जानकारी तुरंत IHIP पोर्टल पर दें। संदिग्ध मामलों के लिए सख्त आइसोलेशन प्रोटोकॉल का पालन करने को कहा गया है।


अस्पतालों को यह सुनिश्चित करने के लिए कहा गया है कि SARI मामलों और लैब द्वारा पुष्ट किए गए इन्फ्लूएंजा मामलों का उचित डॉक्यूमेंटेशन किया जाए।


HMPV कोई नया वायरस नहीं है। यूएस सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (CDC) के अनुसार, इसे सबसे पहले 2001 में पहचाना गया था। एक विशेषज्ञ का कहना है कि कुछ सेरोलॉजिक साक्ष्यों से पता चलता है कि यह वायरस 1958 से मौजूद है।