चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग की 20 दिन बाद सार्वजनिक उपस्थिति

चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग 20 दिनों तक मीडिया से दूर रहे, जिससे उनके साइलेंट तख्तापलट की अटकलें तेज हो गईं। हाल ही में, भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर ने बीजिंग में शी जिनपिंग से मुलाकात की, जिसमें द्विपक्षीय संबंधों की प्रगति पर चर्चा की गई। इस मुलाकात के साथ ही, एस जयशंकर शंघाई सहयोग संगठन की बैठक में भी शामिल होने वाले हैं। जानें इस महत्वपूर्ण घटनाक्रम के बारे में और क्या है SCO का महत्व।
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चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग की 20 दिन बाद सार्वजनिक उपस्थिति

शी जिनपिंग की अनुपस्थिति और एस जयशंकर की मुलाकात

चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग पिछले 20 दिनों से मीडिया में नहीं दिखाई दिए हैं। उनकी अनुपस्थिति के चलते कई अटकलें लगाई जा रही थीं, खासकर जब वह किसी सार्वजनिक कार्यक्रम में शामिल नहीं हुए और ब्रिक्स सम्मेलन में भी नहीं पहुंचे। इस बीच, शंघाई सहयोग संगठन (SCO) की बैठक के लिए सदस्य देशों के नेता चीन पहुंच चुके हैं, लेकिन शी जिनपिंग का कोई पता नहीं है। उन्हें आखिरी बार 24 जून को सिंगापुर के प्रधानमंत्री लॉरेंस वांग के साथ देखा गया था।


हालांकि, मंगलवार को भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर ने शी जिनपिंग से मुलाकात की। इस मुलाकात की जानकारी देते हुए जयशंकर ने सोशल मीडिया पर लिखा, "आज सुबह बीजिंग में एससीओ विदेश मंत्रियों के साथ राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मुलाकात की। मैंने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का अभिवादन पहुंचाया और द्विपक्षीय संबंधों में हाल की प्रगति के बारे में जानकारी दी।"


विदेश मंत्री का चीन दौरा

भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर इस समय चीन के दौरे पर हैं। बीजिंग में आधिकारिक बैठकों के बाद, वे तिआनजिन में आयोजित होने वाली शंघाई सहयोग संगठन (SCO) की बैठक में शामिल होंगे।


SCO समिट का महत्व

शंघाई सहयोग संगठन (SCO) एक महत्वपूर्ण राजनीतिक, आर्थिक और सुरक्षा संगठन है, जिसमें 9 सदस्य देश शामिल हैं: चीन, रूस, भारत, पाकिस्तान, कजाकिस्तान, किर्गिजस्तान, ताजिकिस्तान, उज़्बेकिस्तान और ईरान। इसके अलावा, कई पर्यवेक्षक और संवाद भागीदार देश भी इसमें शामिल हैं।


SCO की दूसरी बैठक

पिछले महीने SCO के रक्षा मंत्रियों की एक बैठक हुई थी, जिसमें भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने भाग लिया था। भारत ने संयुक्त वक्तव्य का समर्थन करने से इनकार किया और आतंकवाद पर कड़ी भाषा को शामिल करने की मांग की, जो विशेष रूप से 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले के संदर्भ में भारतीय स्थिति को दर्शाता है।