चीन के तियानजिन में SCO समिट: मोदी का अमेरिका को कड़ा संदेश

चीन के तियानजिन में आयोजित SCO समिट में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अमेरिका को आतंकवाद और टैरिफ के मुद्दों पर कड़ा संदेश दिया। इस सम्मेलन में भारत की भूमिका महत्वपूर्ण रही, जहां मोदी ने स्पष्ट किया कि आतंकवाद का समर्थन स्वीकार्य नहीं है। अमेरिका के साथ बढ़ते संबंधों के बीच चीन की चिंताएं भी बढ़ गई हैं। जानें इस समिट का महत्व और मोदी का अमेरिका को दिया गया संदेश।
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चीन के तियानजिन में SCO समिट: मोदी का अमेरिका को कड़ा संदेश

SCO समिट का महत्व

चीन के तियानजिन में आयोजित SCO समिट भारत के लिए एक महत्वपूर्ण सफलता साबित हुआ। इस सम्मेलन पर अमेरिका सहित अधिकांश पश्चिमी देशों की नजरें थीं। यहां से ऐसी तस्वीरें सामने आईं, जो ट्रंप को चिंता में डाल सकती हैं, और इसके लिए जिम्मेदार खुद ट्रंप हैं। उन्होंने वही किया, जो चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग चाहते थे।


भारत का कड़ा रुख

पिछले दो दिनों में पूरी दुनिया की नजरें चीन पर थीं, जहां अमेरिका को चिढ़ाने वाले कदम उठाए जा रहे थे। तस्वीरों और बयानों के माध्यम से ट्रंप को संदेश दिया जा रहा था। इस संदर्भ में भारत ने विशेष रूप से महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस अंतरराष्ट्रीय मंच से आतंकवाद पर कड़ा प्रहार किया और टैरिफ के मुद्दे पर भी अपनी बात रखी।


मोदी का अमेरिका को संदेश

पीएम मोदी ने अमेरिका को स्पष्ट संदेश देते हुए कहा कि क्या कुछ देशों द्वारा आतंकवाद का समर्थन स्वीकार्य हो सकता है। उन्होंने यह भी कहा कि आतंकवाद से लड़ना मानवता का कर्तव्य है। इसके साथ ही, उन्होंने संरक्षणवादी नीतियों पर भी निशाना साधा, जो अमेरिका की नीतियों को चुनौती देता है।


भारत-अमेरिका संबंधों पर असर

भारत और अमेरिका के बीच बढ़ते संबंधों से चीन चिंतित था। मार्च 2025 से पहले भारत और अमेरिका के संबंध मजबूत हो चुके थे। फरवरी में पीएम मोदी की अमेरिका यात्रा के दौरान ट्रंप ने उनका भव्य स्वागत किया था। इस दौरान ट्रंप ने बांग्लादेश का भविष्य पीएम मोदी के हाथों में सौंप दिया था, जिससे चीन को चिंता हुई।


तीन महाशक्तियों का एकत्र होना

भारत का चीन के साथ संबंध मजबूत होना, दुनिया की तीन महाशक्तियों - भारत, चीन और रूस - का एक साथ आना दर्शाता है। SCO समिट में पुतिन, मोदी और जिनपिंग के बीच की केमेस्ट्री अमेरिका के लिए चिंता का विषय थी।


अमेरिका की स्थिति

ट्रंप अपने देश में आलोचना का सामना कर रहे हैं, और तियानजिन से आई तस्वीर ने उनकी स्थिति को और भी कमजोर किया। पीएम मोदी और जिनपिंग की द्विपक्षीय मुलाकात ने ट्रंप को स्पष्ट संदेश दिया कि भारत और चीन प्रतिस्पर्धी नहीं, बल्कि विकास साझीदार हैं।


भारत की सावधानी

हालांकि, भारत इस कठिन समय में सावधानी से कदम उठा रहा है। वह न तो QUAD को खत्म मान रहा है और न ही BRICS को नजरअंदाज कर रहा है। इसी कारण, भारत ने चीन में होने वाली सैन्य परेड में भाग न लेने का निर्णय लिया है, ताकि QUAD के सदस्य जापान को नाराज न किया जा सके।