चिराग पासवान का हिंदी भाषा विवाद पर बयान: भाषाओं का सम्मान जरूरी
केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान ने महाराष्ट्र में हिंदी भाषा विवाद पर अपने विचार व्यक्त किए हैं। उन्होंने सभी भाषाओं के प्रति सम्मान की आवश्यकता पर जोर दिया और राजनीतिक दलों की भेदभावपूर्ण नीतियों की आलोचना की। ठाकरे भाइयों के एक साथ आने को लेकर भी उन्होंने अपनी राय साझा की, जिसमें उन्होंने इसे स्वार्थ के लिए बताया। इस लेख में पासवान के विचारों और ठाकरे भाइयों की राजनीतिक स्थिति पर चर्चा की गई है, जो महाराष्ट्र की राजनीति में महत्वपूर्ण है।
Jul 5, 2025, 14:43 IST
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हिंदी भाषा विवाद पर चिराग पासवान का दृष्टिकोण
केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान ने महाराष्ट्र में हिंदी भाषा के विवाद पर अपनी राय व्यक्त की है। उन्होंने कहा कि वे सभी भाषाओं का समर्थन और सम्मान करते हैं। पासवान ने यह भी बताया कि भारतीय भाषाओं की विविधता इस बात का प्रमाण है कि विभिन्न राज्यों में अलग-अलग भाषाएं बोली जाती हैं। हर कुछ किलोमीटर पर बोली में बदलाव आ जाता है। वे भाषाओं को मित्र मानते हैं, जो एक साथ मिलकर विकसित होती हैं। हालांकि, उन्होंने कुछ स्वार्थी राजनीतिक दलों की आलोचना की, जो जाति, धर्म, क्षेत्र और अब भाषा के आधार पर भेदभाव की राजनीति को बढ़ावा दे रहे हैं।
ठाकरे भाइयों की एकता पर चिराग पासवान की टिप्पणी
केंद्रीय मंत्री ने आगे कहा कि भारतीय संविधान हमें किसी भी क्षेत्र में रहने और किसी भी भाषा का उपयोग करने की स्वतंत्रता देता है। उन्होंने सभी भाषाओं के प्रति सम्मान व्यक्त किया, लेकिन यह भी कहा कि दूसरों को भी उनकी भाषा का उतना ही सम्मान करना चाहिए। उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे के एक साथ आने पर पासवान ने कहा कि यह भाषा के लिए नहीं, बल्कि उनके स्वार्थ के लिए है। दोनों भाइयों ने देखा कि अलग रहने से उनकी ताकत कम हो गई है।
युवा नेता ने यह भी कहा कि उन्हें यकीन नहीं है कि ठाकरे भाइयों ने अपने मतभेद सुलझा लिए हैं। उनका मानना है कि वे केवल राजनीतिक लाभ के लिए एक साथ आए हैं। उद्धव ठाकरे ने हाल ही में कहा कि वे और राज एकसाथ रहने के लिए एकजुट हुए हैं। लगभग 20 वर्षों बाद, उद्धव ने राज ठाकरे के साथ एक राजनीतिक मंच साझा किया।
मुंबई नगर निगम पर कब्जा करने की योजना
उद्धव ने यह भी कहा कि वे मिलकर मुंबई नगर निगम और महाराष्ट्र की सत्ता पर नियंत्रण स्थापित करेंगे। उन्होंने कहा, 'हम एकसाथ रहने के लिए एकत्र हुए हैं।' दो दशकों के बाद, उद्धव और राज ने एक सार्वजनिक मंच साझा किया और 'आवाज मराठीचा' नामक एक विजय सभा का आयोजन किया, जो राज्य के स्कूलों में कक्षा एक से तीसरी के लिए हिंदी को शामिल करने के सरकारी आदेशों को वापस लेने का जश्न मनाने के लिए थी।