चिनाब रेलवे पुल: इंजीनियरिंग का अद्भुत उदाहरण

चिनाब रेलवे पुल का निर्माण
हिमालय की ऊँचाई में कभी घोड़ों और खच्चरों की आवाजें गूंजती थीं, लेकिन अब उसी क्षेत्र में दुनिया का सबसे ऊँचा रेलवे पुल खड़ा है। भारतीय इंजीनियरों की मेहनत और दृढ़ संकल्प ने इस सपने को साकार किया है।
कश्मीर से कन्याकुमारी तक रेल संपर्क स्थापित करने के लिए चिनाब ब्रिज एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है। यह कहानी केवल निर्माण सामग्री की नहीं, बल्कि मानव साहस और संघर्ष की भी है। पुल के निर्माण स्थल तक पहुँचने में प्रारंभ में बहुत कठिनाई थी, क्योंकि वहाँ कोई पक्की सड़क नहीं थी।
इस चुनौती का सामना करने के लिए घोड़ों और खच्चरों का उपयोग किया गया। अफकॉन्स इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड ने इस परियोजना को पूरा किया। कंपनी के प्रवक्ता ने बताया कि प्रारंभ में टीम के सदस्य खच्चरों और घोड़ों की मदद से साइट तक पहुँचते थे।
इस कठिन इलाके में काम करने के लिए 11 किलोमीटर और 12 किलोमीटर लंबी सड़कें काटी गईं, जिससे भारी मशीनें और सामग्री साइट तक पहुँचाई जा सकीं।
जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस पुल पर तिरंगा लहराते हुए मार्च किया, तो यह केवल एक पुल का उद्घाटन नहीं था, बल्कि यह देश की इंजीनियरिंग क्षमता का प्रतीक बन गया।
हिमालय में काम करना आसान नहीं था। दुनिया के सबसे ऊँचे क्रॉसबार केबल क्रेनों और भारी मशीनों की मदद से पुराने ढलानों को मजबूत किया गया। 5 अप्रैल 2021 को चिनाब के दोनों किनारों से निकले कैंटिलीवर आर्च ने एक अद्भुत दृश्य प्रस्तुत किया।
भारत में रेलवे के इतिहास में पहली बार इन्क्रिमेंटल लॉन्चिंग तकनीक का उपयोग किया गया। यह पुल न केवल इंजीनियरिंग का उदाहरण है, बल्कि वैज्ञानिक सटीकता का भी प्रतीक है।
आज यह पुल चिनाब नदी से 359 मीटर ऊँचा है, जो पेरिस के एफिल टॉवर से 35 मीटर अधिक ऊँचा है। यह न केवल भारत, बल्कि दुनिया का सबसे ऊँचा रेलवे पुल बन चुका है। यह कहानी है हिम्मत और उम्मीद की, जिसने साबित किया है कि मजबूत इरादे से पहाड़ों को भी झुकाया जा सकता है।