चार्ली किर्क की हत्या: अमेरिका में राजनीतिक बहस का नया मोड़

चार्ली किर्क, जो ट्रंप के करीबी सहयोगी थे, की हत्या ने अमेरिका में राजनीतिक बहस को फिर से गरमा दिया है। उनके इजराइल के प्रति समर्थन और मुस्लिम समुदाय पर विवादास्पद टिप्पणियाँ चर्चा का विषय बनी हुई हैं। इस घटना ने न केवल व्यक्तिगत नुकसान का प्रतीक बना दिया है, बल्कि विचारधाराओं के टकराव का भी प्रतीक बन गया है। जानें कि कैसे किर्क की हत्या ने राजनीतिक ध्रुवीकरण को और बढ़ा दिया है।
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चार्ली किर्क की हत्या: अमेरिका में राजनीतिक बहस का नया मोड़

चार्ली किर्क का राजनीतिक सफर

चार्ली किर्क, जो अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के करीबी माने जाते थे और टर्निंग पॉइंट यूएसए नामक युवा संगठन के संस्थापक थे, को एक राजनीतिक कार्यक्रम के दौरान गोली मार दी गई। उनकी हत्या ने एक बार फिर अमेरिकी राजनीति में गर्म बहस को जन्म दिया है।


इजराइल के प्रति समर्थन

किर्क ने हमेशा इजराइल का खुलकर समर्थन किया। उन्होंने इस देश को 'पश्चिमी सभ्यता की अग्रिम पंक्ति' बताया। जब अमेरिका ने 2018 में यरुशलम में अपना दूतावास खोला, तो किर्क वहां मौजूद थे और उस यात्रा को 'आंखें खोलने वाला' बताया। उन्होंने कहा कि उनका संगठन हमेशा इजराइल के साथ खड़ा रहेगा।


गाजा पर इजराइली हमलों का समर्थन

किर्क ने गाजा पर इजराइली हमलों का समर्थन किया और 2023 में इजराइल द्वारा किए गए सैन्य अभियानों को सही ठहराया। उन्होंने कहा, 'इजराइल को जबरदस्त बल से जवाब देने का पूरा अधिकार है।' उन्होंने यह भी कहा कि इजराइल नागरिकों को लक्षित नहीं कर रहा है।


मुस्लिम समुदाय पर विवादास्पद टिप्पणियाँ

किर्क ने मुस्लिम समुदाय के खिलाफ भी कई बार विवादास्पद टिप्पणियाँ की हैं। जब उगांडा-भारतीय मुस्लिम नेता जोहरान ममदानी ने न्यूयॉर्क सिटी प्राइमरी जीती, तो किर्क ने एक पोस्ट में लिखा, '24 साल पहले एक समूह ने 9/11 पर 2,753 लोगों की हत्या की। अब एक मुस्लिम समाजवादी न्यूयॉर्क सिटी में चुनाव लड़ने जा रहा है।' इस टिप्पणी की कड़ी आलोचना हुई।


राजनीतिक ध्रुवीकरण और प्रतिक्रियाएँ

हालांकि हमलावर की पहचान अभी तक नहीं हुई है, किर्क की हत्या को MAGA कैंप और उसके मीडिया प्लेटफार्मों द्वारा राजनीतिक हथियार के रूप में इस्तेमाल किया जा रहा है। ट्रंप ने किर्क को 'महान' बताया और 'उग्र वाम' को दोषी ठहराया। इस घटना ने न केवल व्यक्तिगत नुकसान का प्रतीक बना दिया है, बल्कि विचारधाराओं के टकराव का भी प्रतीक बन गया है।