चांदी की कीमतों में अभूतपूर्व वृद्धि: 2.42 लाख रुपये प्रति किलो का नया रिकॉर्ड

चांदी की कीमतों में हालिया अभूतपूर्व वृद्धि ने सभी रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं, जिससे यह 2.42 लाख रुपये प्रति किलो तक पहुंच गई है। इस वृद्धि के पीछे औद्योगिक मांग और आपूर्ति में बाधाएं हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि यह तेजी जारी रह सकती है, जिससे निवेशकों के लिए नए अवसर उत्पन्न हो सकते हैं। जानें इस विषय पर और अधिक जानकारी और भविष्यवाणियाँ।
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चांदी की कीमतों में अभूतपूर्व वृद्धि: 2.42 लाख रुपये प्रति किलो का नया रिकॉर्ड

चांदी की कीमतों में अभूतपूर्व उछाल

चांदी की कीमतों में अभूतपूर्व वृद्धि: 2.42 लाख रुपये प्रति किलो का नया रिकॉर्ड

चांदी की कीमतें

चांदी की कीमतों में हालिया उछाल ने सभी पूर्व रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं। कमोडिटी बाजार में चांदी का भाव 2.42 लाख रुपये प्रति किलो के ऐतिहासिक स्तर पर पहुंच गया है। यह जानकारी न केवल निवेशकों के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि आम उपभोक्ताओं के लिए भी, क्योंकि चांदी अब केवल आभूषण नहीं, बल्कि एक आवश्यक औद्योगिक संपत्ति बन गई है।

एक हफ्ते में 15% की वृद्धि

हाल के दिनों में चांदी की कीमतों में जो वृद्धि हुई है, उसे सामान्य नहीं कहा जा सकता। पिछले हफ्ते के भीतर फ्यूचर्स मार्केट में चांदी की कीमतों में 15% से अधिक का उछाल देखा गया। कारोबारी सत्र के दौरान मार्च 2026 की डिलीवरी वाली चांदी ने एक दिन में 18,210 रुपये (लगभग 8.14%) की वृद्धि की और 2,42,000 रुपये प्रति किलो का नया उच्चतम स्तर छुआ। हालांकि, दिन के अंत में मुनाफावसूली के कारण कीमत थोड़ी कम होकर 2,39,787 रुपये पर बंद हुई, लेकिन बाजार का माहौल पूरी तरह से सकारात्मक बना हुआ है।

चांदी की औद्योगिक मांग

इस अभूतपूर्व वृद्धि के पीछे का कारण क्या है? विशेषज्ञों का मानना है कि चांदी की भूमिका अब बदल चुकी है। मेहता इक्विटीज के कमोडिटी वाइस प्रेसिडेंट राहुल कलंत्री के अनुसार, चांदी को अब केवल आभूषण या सिक्कों के रूप में नहीं देखा जा सकता। इसकी औद्योगिक मांग, आपूर्ति की तुलना में कहीं अधिक है।

आजकल सोलर पैनल, उच्च प्रदर्शन वाले इलेक्ट्रॉनिक्स और इलेक्ट्रिक वाहनों के निर्माण में चांदी का उपयोग अनिवार्य हो गया है। जैसे-जैसे दुनिया हरित ऊर्जा और उन्नत तकनीक की ओर बढ़ रही है, चांदी की खपत बढ़ती जा रही है, जबकि खदानों से इसकी आपूर्ति में बाधाएं आ रही हैं। यही कारण है जो कीमतों को बढ़ा रहा है।

2025 में निवेशकों के लिए लाभकारी वर्ष

निवेश के दृष्टिकोण से, वर्ष 2025 चांदी के निवेशकों के लिए एक जैकपॉट साबित हुआ है। आंकड़ों के अनुसार, 31 दिसंबर 2024 को चांदी का भाव लगभग 87,233 रुपये प्रति किलो था। अब तक, कीमतों में लगभग 175% की वृद्धि हो चुकी है। इसका मतलब है कि जिन्होंने साल की शुरुआत में चांदी में निवेश किया, उनका निवेश कई गुना बढ़ चुका है।

ग्लोबल मार्केट में भी यही स्थिति है। कॉमेक्स पर चांदी ने पहली बार 79 डॉलर प्रति औंस का स्तर पार किया। वहां भी मार्च 2026 का कॉन्ट्रैक्ट 11.2% बढ़कर 79.70 डॉलर प्रति औंस तक पहुंच गया।

क्या यह वृद्धि जारी रहेगी?

अब सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या यह वृद्धि यहीं थमेगी? रिलायंस सिक्योरिटीज के सीनियर रिसर्च एनालिस्ट जिगर त्रिवेदी का मानना है कि अभी और वृद्धि संभव है। उनका कहना है कि औद्योगिक मांग, आपूर्ति से काफी आगे निकल सकती है। इसके अलावा, अगले वर्ष अमेरिका में ब्याज दरों में कटौती की संभावना और डॉलर में कमजोरी ने सोने-चांदी को निवेश के लिए सुरक्षित और आकर्षक बना दिया है। एक्सचेंज ट्रेडेड फंड्स (ETF) में लगातार आ रहा पैसा भी इसी बात का संकेत है। विशेषज्ञों का मानना है कि वर्ष 2026 में वैश्विक बाजार में चांदी 100 डॉलर प्रति औंस के जादुई आंकड़े की ओर बढ़ सकती है।

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