चंद्र दर्शन 2025: पूजा विधि और महत्व जानें

चंद्र दर्शन 2025 का आयोजन 22 नवंबर को होगा। इस दिन चंद्र देवता की पूजा विधि और महत्व के बारे में जानें। चंद्र दर्शन से मानसिक शांति और सुख की प्राप्ति होती है। जानें इस विशेष दिन की पूजा विधि और चंद्रोदय का समय।
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चंद्र दर्शन 2025: पूजा विधि और महत्व जानें

चंद्र दर्शन 2025 की तिथि और समय

चंद्र दर्शन 2025: पूजा विधि और महत्व जानें

चंद्र दर्शन 2025

चंद्र दर्शन 2025 की तिथि और समय: ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, चंद्रमा मन का प्रतीक है और यह कर्क राशि का स्वामी है। हिंदू धर्म में चंद्र देवता का दर्शन करना अत्यंत शुभ माना जाता है। चंद्र देव की पूजा से मानसिक शांति, सुख और आकर्षण में वृद्धि होती है। धार्मिक ग्रंथों में चंद्र देव की पूजा को कल्याणकारी बताया गया है।

चंद्र दर्शन के अवसर पर व्रत भी रखा जाता है। अमावस्या के बाद, 22 नवंबर को चंद्र दर्शन का आयोजन होगा। आइए जानते हैं कि चंद्रोदय का समय क्या होगा और पूजा विधि क्या है।

चंद्र दर्शन का समय

अमावस्या के बाद प्रतिपदा तिथि पर चंद्रमा निकलता है, और इसी दिन चंद्र दर्शन किया जाता है। द्रिक पंचांग के अनुसार, 22 नवंबर को शाम 5:25 बजे से चंद्र दर्शन प्रारंभ होगा, जो शाम 6:39 बजे तक चलेगा। इस दिन चंद्र दर्शन के लिए 1 घंटे 14 मिनट का विशेष समय रहेगा।

चंद्र देव की पूजा विधि

  • चंद्र दर्शन के दिन शाम को पवित्र होकर सफेद या हल्के रंग के वस्त्र पहनें।
  • चंद्र देवता को कच्चा दूध, सफेद पुष्प और अक्षत अर्पित करें।
  • अर्घ्य देते समय ‘ॐ चं चंद्राय नमः’ या ‘ॐ सों सोमाय नमः’ का जाप करें।
  • चंद्र देव को खीर का भोग अर्पित करें।
  • पूजा के अंत में आशीर्वाद मांगें और सुख-सौभाग्य की कामना करें।

चंद्र दर्शन का महत्व

चंद्र दर्शन को ज्ञान का प्रतीक माना जाता है। धार्मिक और ज्योतिष शास्त्र में इसका विशेष महत्व है। मान्यता है कि अमावस्या के बाद किए गए चंद्र दर्शन से व्यक्ति को सकारात्मक परिणाम मिलते हैं। यह मन को शांति और मानसिक संतुलन प्रदान करता है।

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