चंद्र आर्य ने जस्टिन ट्रूडो के इस्तीफे के बाद प्रधानमंत्री पद की उम्मीदवारी की घोषणा की

भारतीय मूल के कनाडाई सांसद चंद्र आर्य ने जस्टिन ट्रूडो के इस्तीफे के बाद प्रधानमंत्री पद के लिए अपनी उम्मीदवारी की घोषणा की है। उन्होंने लिबरल पार्टी में असंतोष के बीच अपनी उम्मीदवारी का ऐलान किया है। आर्य ने अपने सोशल मीडिया पर कनाडा के लिए एक कुशल सरकार का नेतृत्व करने की इच्छा व्यक्त की है। इसके साथ ही, उन्होंने हिंदुओं और सिखों के बीच एकता की बात की है, जबकि खालिस्तानी तत्वों की आलोचना की है। जानें आर्य के विचार और कनाडा की राजनीतिक स्थिति के बारे में अधिक जानकारी।
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चंद्र आर्य ने जस्टिन ट्रूडो के इस्तीफे के बाद प्रधानमंत्री पद की उम्मीदवारी की घोषणा की

कनाडा में राजनीतिक बदलाव की ओर एक कदम


भारतीय मूल के कनाडाई सांसद चंद्र आर्य ने जस्टिन ट्रूडो के इस्तीफे के बाद कनाडा के प्रधानमंत्री पद के लिए अपनी उम्मीदवारी की घोषणा की है। आर्य को ट्रूडो का करीबी सहयोगी माना जाता रहा है।


यह निर्णय तब लिया गया है जब लिबरल पार्टी में ट्रूडो के नेतृत्व के प्रति असंतोष बढ़ रहा है।


आर्य ने अपने सोशल मीडिया पर लिखा, "मैं कनाडा का अगला प्रधानमंत्री बनने के लिए खड़ा हो रहा हूं, ताकि एक छोटी और अधिक कुशल सरकार का नेतृत्व कर सकूं और हमारे देश के पुनर्निर्माण के साथ-साथ आने वाली पीढ़ियों के लिए समृद्धि सुनिश्चित कर सकूं।"


चंद्र आर्य, जो कर्नाटक के तुमकुर जिले के द्वारलू गांव के निवासी हैं, 2006 में कनाडा में बस गए थे। उन्होंने धारवाड़ के कौसली इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट स्टडीज से एमबीए किया है। 2015 में उन्होंने पहली बार संघीय चुनाव जीता और 2019 में फिर से सांसद बने। 2022 में उन्होंने कनाडा की संसद में कन्नड़ में भाषण देकर सुर्खियां बटोरी थीं और अक्सर खालिस्तानी तत्वों की आलोचना करते देखे गए हैं।


हाल ही में, आर्य ने कनाडा के कुछ नेताओं पर हिंदुओं और सिखों को जानबूझकर एक-दूसरे के खिलाफ खड़ा करने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि कनाडाई मूल के हिंदू और सिख एकजुट हैं, जबकि खालिस्तानी अलग हैं। आर्य की यह टिप्पणी ब्रैम्पटन के एक मंदिर में हिंदुओं पर हमले की घटना के कुछ दिन बाद आई है।


आर्य ने कहा कि कनाडा के कई नेता ब्रैम्पटन की घटना को हिंदुओं और सिखों के बीच संघर्ष के रूप में पेश करने की कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने यह भी कहा कि कुछ नेताओं के जानबूझकर किए गए कृत्यों और खालिस्तानियों के प्रभाव के कारण कनाडा के लोग अब खालिस्तानियों और सिखों को एक जैसा समझने लगे हैं।