घाटशिला उपचुनाव: बीजेपी और JMM के बीच सीधी टक्कर

झारखंड के घाटशिला उपचुनाव में बीजेपी और झारखंड मुक्ति मोर्चा के बीच सीधी टक्कर देखने को मिलेगी। बीजेपी ने बाबूलाल सोरेन को उम्मीदवार बनाया है, जबकि JMM ने सोमेश सोरेन को मैदान में उतारा है। यह चुनाव रामदास सोरेन के निधन के बाद हो रहा है, और राजनीतिक विश्लेषक इसे भावनात्मक और रणनीतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण मानते हैं। जानें इस चुनाव की पूरी कहानी और इसके संभावित परिणाम।
 | 
घाटशिला उपचुनाव: बीजेपी और JMM के बीच सीधी टक्कर

घाटशिला उपचुनाव की राजनीतिक गर्मी

घाटशिला उपचुनाव: बीजेपी और JMM के बीच सीधी टक्कर

झारखंड में घाटशिला उपचुनाव को लेकर सियासी पारा हाई है.


झारखंड में घाटशिला उपचुनाव की राजनीतिक गतिविधियाँ तेज हो गई हैं। बीजेपी ने पूर्व मुख्यमंत्री चंपई सोरेन के बेटे बाबूलाल को अपना उम्मीदवार बनाया है, जबकि झारखंड मुक्ति मोर्चा ने पूर्व शिक्षा मंत्री रामदास सोरेन के बेटे सोमेश को चुनावी मैदान में उतारा है। यह उपचुनाव 11 नवंबर को होगा, जो रामदास सोरेन के निधन के बाद खाली हुई सीट पर हो रहा है। परिणाम 14 नवंबर को घोषित किए जाएंगे।


बीजेपी द्वारा बाबूलाल को उम्मीदवार बनाए जाने पर उन्होंने एक पोस्ट में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा, गृह मंत्री अमित शाह और पार्टी के अन्य नेताओं का धन्यवाद किया।


घाटशिला उपचुनाव: बीजेपी और JMM के बीच सीधी टक्कर


पिछले विधानसभा चुनाव के परिणाम


2024 में हुए विधानसभा चुनाव में भी बाबूलाल सोरेन को बीजेपी ने अपना उम्मीदवार बनाया था, लेकिन उन्हें हार का सामना करना पड़ा था। उस चुनाव में झारखंड मुक्ति मोर्चा के रामदास सोरेन को 98,356 वोट मिले थे, जबकि बाबूलाल को 75,910 वोट मिले थे।


झारखंड मुक्ति मोर्चा की भावनात्मक रणनीति


रामदास के निधन के कारण हो रहे उपचुनाव में उनके बेटे को उम्मीदवार बनाकर झारखंड मुक्ति मोर्चा ने भावनात्मक पहलू को भुनाने की कोशिश की है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि बीजेपी और चंपई सोरेन की रणनीति को नजरअंदाज करना झारखंड मुक्ति मोर्चा के लिए मुश्किलें पैदा कर सकता है।


घाटशिला उपचुनाव: बीजेपी और JMM के बीच सीधी टक्कर


चंपई सोरेन की राजनीतिक ताकत


चंपई सोरेन कोल्हान की राजनीति में एक महत्वपूर्ण स्तंभ माने जाते हैं। वह लगातार अपने बेटे के समर्थन में चुनावी बैठकें कर रहे हैं। इस प्रकार, घाटशिला उपचुनाव न केवल भावनात्मक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि झारखंड की भविष्य की राजनीति के लिए भी अत्यंत महत्वपूर्ण साबित हो सकता है। यह मुकाबला सीधे मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और पूर्व मुख्यमंत्री चंपाई सोरेन के बीच होगा.