ग्वालियर में बच्चों की मौत के बाद कफ सिरप की जांच में सख्ती
बच्चों की मौत पर उठे सवाल
ग्वालियर। आज मेरी आंखों में मिट्टी की परत है, और कई मासूम बच्चे भी मिट्टी में दफन हैं, जो अपनी मां के आँचल को तरस रहे हैं। हमारी गलती क्या थी कि हमारे सपनों को उड़ान भरने से पहले ही समाप्त कर दिया गया? जिन डॉक्टरों को मां के बाद भगवान का दर्जा दिया गया, उन्होंने ही हमारी जान ले ली। मां, आप मुझे डॉक्टर के पास लेकर गई थीं, लेकिन कुछ पैसों के लिए उस डॉक्टर ने हमारी जान से खिलवाड़ किया। अब सवाल यह है कि क्या भविष्य की पीढ़ी अस्पतालों और डॉक्टरों पर भरोसा करेगी? क्या दवा के नाम पर कमीशनखोरी खत्म होगी? क्या देश में खांसी और बुखार के लिए प्रभावी इलाज मिलेगा? क्या यह सिस्टम कभी सुधरेगा? क्या सरकार मेरे जैसे मासूम बच्चों को न्याय दे पाएगी? इन सवालों के बीच, मां, आप मुझसे वादा करें कि आप जवाब दिलवाएंगी…
कफ सिरप की जांच में बदलाव
पहले क्यों नहीं की गई जांच:
अब कफ सिरप के निर्माण से पहले उसमें मिलाए जाने वाले रसायनों की जांच की जाएगी। औषधि निरीक्षक दवा निर्माता कंपनियों में जाकर नमूने लेंगे। इसके अलावा, बच्चों के कफ सिरप अब डॉक्टर के पर्चे पर ही मिलेंगे। दवा दुकानदारों को निर्देश दिया जाएगा कि वे बिना पर्चे के बच्चों के कफ सिरप न बेचें।
लोगों को वैध लाइसेंस वाले मेडिकल स्टोर से दवाएं खरीदने, बिक्री की रसीद लेने, बैच नंबर और दवा की एक्सपायरी डेट की जांच करने के लिए जागरूक किया जाएगा।
दवा एप से सावधानी बरतें
मेडिसिन एप से न मंगवाएं दवा:
आजकल की जिंदगी एप पर निर्भर हो गई है। कई एप बिना डॉक्टर के पर्चे के दवाएं घर पर पहुंचा देते हैं।
कफ सिरप की कीमत और सुरक्षा
मात्र इतनी है जान की कीमत:
बाजार में हजारों कफ सिरप उपलब्ध हैं। जिले में मेडिकल स्टोर की संख्या 2800 हो चुकी है। हर निजी अस्पताल से लेकर मोहल्लों में मेडिकल स्टोर खुल चुके हैं। इनमें से अधिकांश स्टोर पर फार्मासिस्ट तक उपलब्ध नहीं हैं, जिनकी लागत एक रुपए से भी कम है, जबकि इन्हें 96 से 110 रुपए तक बेचा जा रहा है।
केंद्र सरकार ने 18 दिसंबर 2023 को स्पष्ट आदेश जारी किया था कि 4 साल से छोटे बच्चों को क्लोरफेनिरामाइन मेलिएट (2 एमजी) और फिनाइलफ्राइन एचसीएल (5 एमजी) युक्त कफ सिरप नहीं दिए जाएंगे, क्योंकि इनका लाभ कम और नुकसान ज्यादा पाया गया।
आदेश में यह भी अनिवार्य किया गया था कि ऐसी दवाओं के लेबल पर चेतावनी लिखी जाए। लेकिन इस आदेश का पालन नहीं हुआ, न ही दवा कंपनियों ने लेबल बदले, न ही राज्य सरकारों ने इसे लागू करने के लिए कोई ठोस कदम उठाए। इसका दुखद परिणाम मध्य प्रदेश में सामने आया, जहां कोल्ड्रिफ सिरप से 16 से अधिक बच्चों की मौत हो गई। इस सिरप में वही बैन किया हुआ फॉर्मूला था, और बोतल पर कोई चेतावनी नहीं थी।
प्रशासन की कार्रवाई
इन्होंने कहा –
मेडिकल स्टोर की लगातार जांच की जा रही है और रिकॉर्ड मांगा जा रहा है, जिनके पास सिरप हैं उनसे सूची मांगी जा रही है।
अनुभूति शर्मा
ड्रग इंस्पेक्टर, ग्वालियर