ग्वालियर में एक रुपये में खुशियों का अनोखा अभियान
कबाड़ को री-सायकल कर जरूरतमंदों को दिया एक रुपए में

ग्वालियर में इस दीपावली का माहौल कुछ विशेष था। यहां लोगों के घरों में खुशियों का आगमन मात्र एक रुपये में हुआ। यह एक अद्भुत पहल है, जो ग्वालियर नगर निगम के अपर आयुक्त (IAS) प्रतीक राव की सोच से शुरू हुई। इस ‘एक रुपये में खुशियां’ अभियान ने कबाड़ को संवेदनशीलता में बदल दिया।
कबाड़ से बना किसी के लिए तोहफा
इस अनोखे अभियान के अंतर्गत, शहरवासियों से पुराने या बेकार सामान जैसे कपड़े, खिलौने, बर्तन, फर्नीचर और इलेक्ट्रॉनिक वस्तुएं एकत्र की गईं। नगर निगम की टीम ने इन वस्तुओं को री-सायकल और मरम्मत कर गरीब और झुग्गी बस्तियों में रहने वाले परिवारों को केवल एक रुपये में उपलब्ध कराया। इससे न केवल हजारों परिवारों के चेहरे पर मुस्कान आई, बल्कि डंपिंग साइट का बोझ भी कम हुआ।
हर तीन महीने चलेगा अभियान
नगर निगम के अधिकारियों ने बताया कि यह अभियान अब हर तीन महीने में आयोजित किया जाएगा। इससे शहर के घरों से निकलने वाला अनुपयोगी सामान दूसरों के जीवन में उपयोगी वस्तु के रूप में पहुंच सकेगा।
साझा जिम्मेदारी की मिसाल
इस पहल में नगर निगम के कर्मचारी, स्वच्छता ब्रांड एंबेसडर और स्थानीय नागरिकों ने मिलकर भाग लिया। कई वार्डों में संग्रह केंद्र बनाए गए, जहां लोग प्रतीक स्वरूप एक रुपये दान देकर अपना सामान जमा कर रहे हैं। रीसायकल किए गए सामान को निगम की टीम ने जरूरतमंदों तक पहुंचाया, जिसमें बच्चों को खिलौने और कपड़े, तथा बुजुर्गों को कंबल और आवश्यक वस्तुएं दी गईं।
कैसे आया नवाचार का विचार
IAS अधिकारी प्रतीक राव ने बताया कि यह विचार डंपिंग साइट के निरीक्षण के दौरान आया। उन्होंने देखा कि वहां कपड़े, खिलौने, बर्तन, फर्नीचर और इलेक्ट्रॉनिक वस्तुएं बड़ी मात्रा में पड़ी थीं, जिन्हें सुधारकर दोबारा इस्तेमाल किया जा सकता था। उन्होंने यह योजना नगर निगम आयुक्त संघ प्रिय के सामने रखी, जिन्हें यह विचार पसंद आया। इसके बाद, 8 गाड़ियां ऐसे सामान के संग्रह के लिए शहर की बस्तियों में भेजी गईं। दीपावली तक लगभग 2000 वस्तुएं जरूरतमंद परिवारों के घरों तक पहुंच चुकी थीं।
ग्वालियर बना प्रेरणा केंद्र
इस पहल ने ग्वालियर को पूरे प्रदेश में प्रेरणा का केंद्र बना दिया है। यह दर्शाता है कि यदि प्रशासन, समाज और नागरिक एक साथ मिलकर सोचें, तो कचरा भी किसी के लिए खुशियों का तोहफा बन सकता है।
इनका कहना है
संघ प्रिय, नगर निगम आयुक्त (ग्वालियर)
“हम चाहते थे कि ग्वालियर की दिवाली केवल घरों में नहीं, दिलों में भी उजाला करे। ‘एक रुपये में खुशियां’ इसी सोच से जुड़ा प्रयास है, जो समाज में साझेदारी और संवेदना का संदेश देता है।”
