गुवाहाटी की पुस्तकालयों में प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी का नया दौर

पुस्तकालयों का नया जीवन
पुस्तकालय लंबे समय से ज्ञान के संरक्षक रहे हैं, जहां किताबें, शांति और ज्ञान का भंडार होता है। लेकिन आज के डिजिटल युग में, जब ज्ञान स्क्रीन पर उपलब्ध है, ये स्थान एक नई पहचान बना रहे हैं।
अब पुस्तकालय केवल साहित्य प्रेमियों के लिए नहीं रह गए हैं। गुवाहाटी में, ये स्थान प्रतियोगी परीक्षाओं के छात्रों के लिए महत्वपूर्ण केंद्र बन गए हैं।
प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी
NEET, APSC और UPSC जैसे परीक्षाओं के लिए युवा छात्र यहाँ किताबों और लैपटॉप के साथ जुटे हुए हैं, अपने सपनों को साकार करने के लिए मेहनत कर रहे हैं।
गुवाहाटी जिला पुस्तकालय, जो दशकों पुराना है, अब युवा छात्रों की ऊर्जा से भरा हुआ है।
"यहाँ छात्रों की भीड़ होती है जो विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे हैं। कई छात्र यहाँ घंटों बिताते हैं, कभी-कभी पूरा दिन। एक NEET छात्र ने यहाँ पढ़ाई करने की इच्छा जताई क्योंकि घर में शोर था। यह जगह उसकी सुरक्षित जगह बन गई," पुस्तकालयाध्यक्ष हिरन कलिता ने कहा।
शिक्षण का नया माहौल
गुवाहाटी विश्वविद्यालय और कॉटन विश्वविद्यालय जैसे शैक्षणिक स्थलों पर भी यही दृश्य देखने को मिलता है। GU के छात्र हिमांचल दत्ता ने बताया कि कई वरिष्ठ छात्र पुस्तकालय के पास कमरे किराए पर लेते हैं।
"वे सुबह से लेकर शाम तक यहाँ रहते हैं," उन्होंने कहा।
कॉटन विश्वविद्यालय के छात्र अभिज्ञान बारहोई ने भी इसी तरह की बात कही। "मेरे यहाँ पांच साल में, पुस्तकालय मेरा दूसरा घर बन गया है। यहाँ आने से मुझे यात्रा की परेशानी नहीं होती और यहाँ के विस्तारित समय ने मुझे पढ़ाई के लिए आवश्यक समय और स्थान दिया।"
पुस्तकालयों की मांग
पुस्तकालयों में इतनी भीड़ है कि स्टाफ को अक्सर समय पर बंद करने में कठिनाई होती है। "हमने हैंडिक कॉलेज के पास नबीन चंद्र बर्दोलोई पुस्तकालय के समय को बढ़ा दिया है," कलिता ने कहा।
IIT-गुवाहाटी में, जहाँ केंद्रीय पुस्तकालय 24x7 खुला रहता है, वहाँ भी अच्छी सीट पाने के लिए प्रतिस्पर्धा बढ़ गई है। पीएचडी छात्र मोनाली शर्मा ने कहा कि यहाँ अध्ययन के लिए सीटें सुरक्षित करने की एक अनकही परंपरा बन गई है।
निजी पुस्तकालयों का उदय
यह बदलाव केवल सार्वजनिक पुस्तकालयों तक सीमित नहीं है। गुवाहाटी में निजी पढ़ाई के कमरे भी प्रतियोगी परीक्षाओं के छात्रों के बीच लोकप्रिय हो रहे हैं।
कई छात्र ट्रैफिक से बचने के लिए निजी पुस्तकालयों को प्राथमिकता देते हैं। APSC की छात्रा आशा बोरो ने कहा, "यहाँ पढ़ाई करना मेरे लिए अधिक सुविधाजनक है।"
निजी पुस्तकालय 24 घंटे खुले रहते हैं, जो छात्रों को बिना किसी विघ्न के पढ़ाई करने का अवसर देते हैं।
शिक्षा का नया दृष्टिकोण
गुवाहाटी की निवासी और पीएचडी छात्रा अनिदृता सैकिया ने कहा कि पुस्तकालयों में छात्रों की बढ़ती संख्या केवल करियर की महत्वाकांक्षा का संकेत नहीं है, बल्कि यह शहरी परिदृश्य में बदलाव का भी प्रतीक है।
"यहाँ के छात्र अब निजी, 24 घंटे खुलने वाले पुस्तकालयों की ओर बढ़ रहे हैं ताकि वे बिना किसी रुकावट के पढ़ाई कर सकें," उन्होंने कहा।
बिहार के सिविल सेवा के छात्र संदीप कुमार ने भी इस विचार को साझा किया। उनके अनुसार, सार्वजनिक और निजी पुस्तकालयों के विकल्प जीवन की वास्तविकता को दर्शाते हैं।
पुस्तकालयों का महत्व
जिला पुस्तकालय में, पुस्तकालयाध्यक्ष कलिता उन छात्रों की भीड़ पर नजर रखते हैं जो किताबों में खोए हुए हैं।
"पुस्तकालय पवित्र स्थान हैं। यहाँ किताबों से भरे शेल्व्स के बीच होना प्रेरणादायक होता है," उन्होंने कहा।