गुवाहाटी की इलेक्ट्रिक बसों की समस्याएं: यात्रियों की दुर्दशा

गुवाहाटी की इलेक्ट्रिक बसों ने प्रदूषण कम करने का वादा किया था, लेकिन यात्रियों को यात्रा के दौरान कई समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। कई यात्रियों को बिना रिफंड के बीच में ही उतार दिया जाता है, और कंडक्टरों का व्यवहार भी निराशाजनक है। हालांकि, बसों की एयर-कंडीशंड सुविधाएं और कम किराया यात्रियों को आकर्षित करते हैं, लेकिन अनुभव अब 'अपमानजनक' हो गया है। क्या गुवाहाटी की हरी बसें अपने वादों पर खरी उतरेंगी? जानें पूरी कहानी में।
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गुवाहाटी की इलेक्ट्रिक बसों की समस्याएं: यात्रियों की दुर्दशा

गुवाहाटी की इलेक्ट्रिक बसों का परिचय


असम राज्य परिवहन निगम (ASTC) द्वारा 2024 की शुरुआत में पेश की गई गुवाहाटी की 256 इलेक्ट्रिक हरी बसों का उद्देश्य प्रदूषण को कम करना, आरामदायक यात्रा प्रदान करना और विश्वसनीय सेवाएं उपलब्ध कराना था।


आज, लगभग एक लाख यात्री प्रतिदिन इन बसों पर निर्भर हैं। फिर भी, कई यात्रियों को यात्रा के बीच में ही छोड़ दिया जाता है, बिना किसी रिफंड या जवाबदेही के।


यात्रियों की समस्याएं

किसी भी नियमित यात्री से पूछें, और वे आपको 'आरो नजाओ' (आगे नहीं जाएगा) जैसी निराशाजनक बातें बताएंगे। एक पल आप जलुकबाड़ी या सुअलकुची की ओर बढ़ रहे होते हैं, और अगले ही पल, आपको पलटन बाजार पर उतार दिया जाता है, भले ही आपने टिकट खरीदी हो।


एक नियमित यात्री ने बताया, 'डैशबोर्ड पर धरापुर दिख रहा था, लेकिन कंडक्टर ने हमें जलुकबाड़ी पर उतार दिया और कहा कि बस अब लोकहरा की ओर जाएगी। वह ऐसा बोल रहा था जैसे यह उसकी निजी गाड़ी हो।'


कंडक्टरों का व्यवहार

कुछ कर्मचारियों का व्यवहार यात्रियों के प्रति बेहद खराब है। एक यात्री ने रात के समय जलुकबाड़ी पर रुकने के बारे में सवाल उठाया, तो कंडक्टर ने कहा, 'यह तुम्हारे पिता का गुलाम नहीं है! अगर तुम्हें ड्राइवर चाहिए, तो अपनी गाड़ी ले लो,' और मुझे अंधेरे में छोड़ दिया।


जब ASTC से इस व्यवहार के बारे में संपर्क किया गया, तो एक अधिकारी ने कहा, 'हम सख्त कार्रवाई करते हैं और जनता की शिकायतों के आधार पर लगभग 1,000 कर्मचारियों को निकाल चुके हैं। अगर किसी को यात्रा या व्यवहार संबंधी समस्याएं हैं, तो उन्हें बसों के पीछे दिए गए नंबर पर कॉल करना चाहिए।'


समस्याओं का समाधान

हालांकि, यह आश्वासन हमेशा काम नहीं करता। एक यात्री ने बताया कि जब उसे जल्दी उतारा गया, तो उसने हेल्पलाइन पर कॉल किया।


'मैंने अधिकारी को बताया कि मैंने गुवाहाटी क्लब से बोरागांव के लिए यात्रा का भुगतान किया था, लेकिन मुझे कामाख्या पर उतार दिया गया। उसने कहा कि रिफंड नीति नहीं है और कंडक्टर ऐसा नहीं करेगा। फिर उसने फोन काट दिया।'


व्यस्त मार्गों पर, जैसे लचित नगर से बेल्टोला, पलटन बाजार से खानापारा, और बासिष्ठ मंदिर से धरापुर, बसें अक्सर बीच में ही समाप्त हो जाती हैं, जिससे यात्रियों को विकल्पों के लिए भागदौड़ करनी पड़ती है।


बैटरी की समस्या

कंडक्टर अक्सर 'बैटरी खत्म' होने का बहाना बनाते हैं। लेकिन यह स्पष्टीकरण हमेशा सही नहीं होता। एक ASTC अधिकारी ने कहा कि गुवाहाटी में दैनिक संचालन के लिए पर्याप्त चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर है।


'सभी बसें रात भर रूपनगर चार्जिंग स्टेशन पर पूरी तरह चार्ज होती हैं और सुबह 6 बजे से रात 9 बजे तक 150 किमी तक चल सकती हैं।'


इन 256 हरी बसों में से 200 गुवाहाटी स्मार्ट सिटी लिमिटेड (GSCL) द्वारा और 56 ASTC द्वारा संचालित हैं। हालांकि, सभी बसें प्रतिदिन सड़क पर नहीं होतीं।


यात्रियों की अपेक्षाएं

गुवाहाटी के यात्री अब इन बसों को साझा टैक्सियों की तरह मानने लगे हैं, जो सुविधा के अनुसार रुकती और चलती हैं।


फिर भी, यात्री हरी बसों को उनके एयर-कंडीशंड इंटीरियर्स और कम किराए के कारण चुनते हैं। लेकिन अनुभव अब 'अपमानजनक' महसूस होता है, जो इन बसों के द्वारा वादा किए गए साफ-सुथरे और विश्वसनीय भविष्य से बहुत दूर है।


गुवाहाटी को बेहतर सेवाएं मिलनी चाहिए। कोई भी एयर-कंडीशनिंग या 'ईको-फ्रेंडली' ब्रांडिंग यात्रियों को छोड़ने को सही नहीं ठहरा सकती। सवाल यह है कि क्या हम इन बसों की सुंदरता के लिए जश्न मना रहे हैं, या उनके कार्य करने के तरीके के लिए?


निष्कर्ष

जब तक पहिए के पीछे की नैतिकता कागज पर किए गए वादों से मेल नहीं खाती, गुवाहाटी की हरी बसें भले ही स्वच्छ ऊर्जा पर चलें, लेकिन प्रणाली खुद साफ नहीं है।


लेखक: पहाड़ी पाठक