गुरुनानक देव जी की धर्म जागरण यात्रा: ताप्ती तट पर अद्वितीय अनुभव

गुरुनानक देव जी की धर्म जागरण यात्रा ने भारतीय समाज में एक नई चेतना का संचार किया। इस यात्रा के दौरान उन्होंने ताप्ती तट पर चौदह दिन बिताए, जहाँ उन्होंने स्थानीय निवासियों के साथ सत्संग किया और अपने विचार साझा किए। उनकी यात्रा का उद्देश्य हिंदू धर्म की रक्षा करना और समाज में जागरूकता फैलाना था। इस लेख में हम उनके अनुभवों और प्रभावों का विस्तृत वर्णन करेंगे, जो आज भी श्रद्धा के साथ याद किए जाते हैं।
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गुरुनानक देव जी का ऐतिहासिक संदर्भ

गुरुनानक देव जी की धर्म जागरण यात्रा: ताप्ती तट पर अद्वितीय अनुभव


भारत में विदेशी मुस्लिम आक्रांताओं का प्रभाव बढ़ रहा था, और हिंदू धर्मस्थलों को नष्ट करने के प्रयास हो रहे थे। मुगलों का शासन प्रारंभ होने वाला था, और इस समय सैयद वंश का शासन भी था। महमूद गजनी और मोहम्मद गजनवी की लूट का भारत पर गहरा असर था। इस कठिन समय में, गुरुनानक देव जी ने अपने धर्म की रक्षा के लिए एक विशेष अभियान शुरू किया। उन्होंने पंजाब से मध्य भारत के सतपुड़ा के घने जंगलों तक यात्रा की, जहां उन्होंने स्वधर्म के प्रति प्रेम का संदेश फैलाया।


गुरुनानक देव जी की धर्म जागरण यात्रा

वर्ष 1515 में, गुरु नानक देव जी ने अपनी पहली धर्म जागरण यात्रा के दौरान भारत के विभिन्न हिस्सों का दौरा किया। इस यात्रा का उद्देश्य हिंदुओं को अपने धर्म के प्रति जागरूक करना था। उन्होंने मध्य प्रदेश के बैतूल जिले में भी यात्रा की, जो चंबल से लेकर मुलताई तक फैली हुई थी। इस यात्रा में उन्होंने हिंदुओं पर हो रहे अत्याचारों के खिलाफ आवाज उठाई।


गुरुनानक देव जी का ग्वालियर प्रवास

गुरुनानक देव जी ने अपनी यात्रा के दौरान ग्वालियर में भी ठहराव लिया। यहाँ उन्होंने धर्म जागरण का कार्य किया और फूलबाग में विश्राम किया। ग्वालियर में उनके प्रवास के कारण आज भी फूल बाग गुरुद्वारा साहिब का महत्व है।


इंदौर में गुरुनानक देव जी का अनुभव

गुरुनानक देव जी ने इंदौर में भी अपनी यात्रा के दौरान एक खारे पानी के कुएं को मीठा करने का चमत्कार किया। यहाँ के भक्तों ने उन्हें जल की समस्या बताई, जिसके समाधान के लिए उन्होंने एक मंत्र पढ़ा। इस घटना के बाद, इंदौर में कई गुरुद्वारे बने, जो उनकी यात्रा की याद दिलाते हैं।


ओंकारेश्वर में गुरुनानक देव जी का प्रवास

गुरुनानक देव जी ने ओंकारेश्वर में भी रुककर नर्मदा जी का पूजन किया। यहाँ उन्होंने स्थानीय निवासियों को धर्म की हानि के बारे में जागरूक किया और 'एक ओंकार' का उद्घोष किया। यह उद्घोष सिक्ख समुदाय में महत्वपूर्ण माना जाता है।


रायसेन और भोपाल में गुरुनानक देव जी का प्रभाव

गुरुनानक देव जी ने रायसेन में राजा कस्तूर अली से भेंट की और वहाँ के हिंदू मंदिरों की रक्षा के लिए प्रयास किए। भोपाल में भी उन्होंने दो महीने तक प्रवास किया और नवाब को हिंदू विरोधी कार्यों के खिलाफ चेताया।


नर्मदापुरम में गुरुनानक देव जी का प्रवास

गुरुनानक देव जी ने नर्मदापुरम में भी अपनी उपस्थिति दर्ज कराई। यहाँ उन्होंने हुशंगशाह को हिंदू विरोधी कार्यों के प्रति आगाह किया। उनकी यात्रा का प्रभाव इतना गहरा था कि हजारों अनुयायी उनके साथ चलने लगे।


गुरुनानक देव जी का मुलताई में आगमन

गुरुनानक देव जी ने मुलताई में माँ ताप्ती के तट पर चौदह दिन बिताए। यहाँ उन्होंने स्थानीय निवासियों के साथ सत्संग किया और अपनी वाणी का अमृतपान कराया। ताप्ती तट पर उनका प्रवास आज भी श्रद्धा के साथ याद किया जाता है।