गुरुजी का अंतिम संदेश: जीवन में छोटी समस्याओं से बचें

एक महात्मा ने अपने अंतिम क्षणों में अपने शिष्य को एक महत्वपूर्ण संदेश दिया: 'कभी बिल्ली मत पालना।' यह कहानी छोटी समस्याओं को बड़ा बनाने से बचने की सीख देती है। जानें कैसे गुरुजी की यह सलाह जीवन के लक्ष्यों से भटकने से रोक सकती है। इस प्रेरणादायक कहानी में छिपा है गहरा अर्थ, जो आपके जीवन को दिशा दे सकता है।
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गुरुजी का अंतिम संदेश: जीवन में छोटी समस्याओं से बचें

गुरुजी का अंतिम संदेश

एक महात्मा अपने अंतिम क्षणों में थे। उनके शिष्य ने उनसे निवेदन किया, 'गुरुजी, कृपया हमें कोई अंतिम संदेश दें।' गुरुजी ने धीरे-धीरे अपनी आंखें खोलीं और कहा, 'मेरे शिष्य, जीवन में सब कुछ करना, पर कभी 'बिल्ली मत पालना'।' इतना कहकर उन्होंने अपनी आत्मा को त्याग दिया।


गुरुजी का अंतिम संदेश: जीवन में छोटी समस्याओं से बचें


यह सुनकर शिष्य चकित रह गया। उसने सोचा, 'गुरुजी ने ऐसा क्यों कहा?' उसने शास्त्रों का अध्ययन किया, लेकिन इस वाक्य का अर्थ नहीं समझ पाया।


शिष्य की खोज और बुजुर्ग का रहस्योद्घाटन

शिष्य ने हार नहीं मानी। एक दिन उसने एक बुजुर्ग से इस वाक्य का अर्थ पूछा। बुजुर्ग मुस्कुराए और बोले, 'मैं जानता हूं कि तेरे गुरुजी ने ऐसा क्यों कहा। यह कहानी तुझे सब समझा देगी।'


गुरुजी ने संन्यास लेकर जंगल में रहने का निर्णय लिया और केवल दो लंगोट लेकर गए। लेकिन समस्या तब आई जब चूहे उनके लंगोट काटने लगे। परेशान होकर गुरुजी ने गांव वालों से मदद मांगी। गांव वालों ने सलाह दी, 'गुरुजी, चूहों से बचने के लिए बिल्ली पाल लें।'


गुरुजी ने बिल्ली पाल ली, लेकिन अब बिल्ली के लिए दूध की आवश्यकता थी। गांव वाले रोज़ दूध देने से मना करने लगे और सुझाव दिया, 'गुरुजी, एक गाय पाल लें।' गाय तो आ गई, लेकिन अब चारे की समस्या खड़ी हो गई।


गांव वालों ने कहा, 'गुरुजी, गाय के चारे के लिए अपनी जमीन पर खेती करें।' खेती शुरू हो गई, लेकिन उसे संभालने के लिए एक सहायक की जरूरत पड़ी। गांव की एक विधवा महिला को रखा गया।


जब 'लंगोट बचाने' में संसार बढ़ गया

धीरे-धीरे गुरुजी और महिला में लगाव हो गया। गांव वालों ने आपत्ति जताई और कहा, 'महात्मा जी, विवाह कर लीजिए।' विवाह के बाद बच्चे हुए, और गुरुजी का पूरा संसार बस गया।


अब गुरुजी का हरि भजन छूट चुका था। वे लंगोट बचाने की समस्या को सुलझाते-सुलझाते संसार के बंधनों में फंस गए।


गुरुजी का अंतिम संदेश:

इसलिए, गुरुजी ने अपने अनुभव से कहा, 'कभी बिल्ली मत पालना।' यह संदेश केवल बिल्ली पालने तक सीमित नहीं था, बल्कि यह एक प्रतीक है। जीवन में छोटी समस्याओं को बड़ा बनाने से बचो, वरना वे तुम्हें तुम्हारे असली लक्ष्य से भटका सकती हैं।


शिक्षा:



  1. छोटी समस्याओं को सरलता से हल करें।

  2. जीवन के लक्ष्य को प्राथमिकता दें।

  3. जरूरत से ज्यादा उलझनों में न फंसें।


गुरुजी के शब्दों में छिपा यह संदेश जीवन की दिशा बदल सकता है। तो याद रखें, 'कभी बिल्ली मत पालना!'