गुरुग्राम में पिता ने बेटे के हत्यारे को खोजने के लिए 8 साल तक की मेहनत

गुरुग्राम के जीतेंद्र चौधरी ने अपने बेटे अमित की हत्या के मामले में न्याय पाने के लिए 8 साल तक संघर्ष किया। 2015 में हुई इस दुखद घटना के बाद, जीतेंद्र ने खुद ही जांच शुरू की और पुलिस की मदद न मिलने पर अदालत का दरवाजा खटखटाया। उनकी कहानी एक पिता के अडिग साहस और न्याय की खोज की है। जानें कैसे उन्होंने अपने बेटे के हत्यारे को खोजने की कोशिश की।
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गुरुग्राम में पिता ने बेटे के हत्यारे को खोजने के लिए 8 साल तक की मेहनत

एक पिता की दर्दनाक कहानी

Frustrated with the system, the father himself searched for the murderer for 8 years, the secret revealed from 1 side mirror


गुरुग्राम में एक पिता के लिए अपने बेटे को अंतिम विदाई देना अत्यंत दुखदायी अनुभव है। जीतेंद्र चौधरी ने अपने बेटे अमित चौधरी की मौत के बाद न्याय की तलाश में एक लंबी कानूनी लड़ाई लड़ी। अमित, जो 2015 में एक सड़क दुर्घटना में मारा गया, अपने माता-पिता का इकलौता बेटा था। उस दिन, जब वह अपने चाचा के साथ टहल रहा था, एक तेज रफ्तार कार ने उसे टक्कर मार दी। अस्पताल पहुंचने से पहले ही उसकी जान चली गई।


इस घटना ने जीतेंद्र और उनकी पत्नी को बुरी तरह प्रभावित किया। पुलिस ने मामले की जांच की, लेकिन जब कार और उसके चालक का कोई सुराग नहीं मिला, तो मामला बंद कर दिया गया। जीतेंद्र ने हार नहीं मानी और खुद ही जांच शुरू करने का निर्णय लिया।


उन्होंने दुर्घटना स्थल पर जाकर एक कार का साइड मिरर पाया और विभिन्न गैराजों में जाकर जानकारी जुटाई। एक मैकेनिक ने बताया कि यह मिरर स्विफ्ट वीडीआई का है। इस जानकारी के साथ, जीतेंद्र ने पुलिस को फिर से जानकारी दी, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई।


2016 में, उन्होंने अदालत का दरवाजा खटखटाया और मामले को फिर से खोलने की अपील की। हालांकि, पुलिस ने फिर से वही जवाब दिया कि कार और चालक का कोई पता नहीं है। जीतेंद्र ने फिर से अदालत में अपील की, लेकिन उनकी याचिका खारिज कर दी गई।


2020 में कोविड-19 के कारण उनकी कोशिशों में रुकावट आई, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी। 2023 में, अदालत ने माना कि पुलिस ने अपनी जिम्मेदारी नहीं निभाई और मामले की फिर से जांच का आदेश दिया।