गुरु-शिष्य परंपरा: गोरक्षपीठ की अद्वितीय विरासत

गुरु-शिष्य परंपरा भारतीय संस्कृति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, जिसमें गुरु और शिष्य के बीच विश्वास और सम्मान की गहरी भावना होती है। गोरक्षपीठ की तीन पीढ़ियाँ इस परंपरा की अद्वितीय मिसाल हैं, जिसमें योगी आदित्यनाथ और उनके गुरु महंत अवेद्यनाथ का संबंध विशेष रूप से उल्लेखनीय है। गुरु पूर्णिमा और अन्य धार्मिक अवसरों पर, श्रद्धालु गोरखनाथ मंदिर में अपनी श्रद्धा अर्पित करते हैं। इस लेख में, हम इस परंपरा के महत्व और गोरक्षपीठ के सामाजिक सरोकारों पर चर्चा करेंगे।
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गुरु-शिष्य परंपरा: गोरक्षपीठ की अद्वितीय विरासत

गुरु-शिष्य का आदर्श संबंध

लखनऊ। भारतीय संस्कृति में गुरु और शिष्य के बीच का संबंध एक आदर्श माना जाता है। गुरुकुल की परंपरा में, गुरु और शिष्य के बीच विश्वास, सम्मान और समर्पण इस रिश्ते की नींव है। यह संबंध केवल शिक्षा तक सीमित नहीं है, बल्कि यह शिष्य के जीवन को दिशा देने, चरित्र निर्माण और आध्यात्मिक उन्नति का माध्यम भी है।


गुरु-शिष्य की परंपरा का महत्व

गुरु-शिष्य का संबंध एक-दूसरे का गुरुत्व बढ़ाने की श्रेष्ठतम परंपरा है। गुरु का गुरुत्व शिष्य की श्रद्धा में निहित होता है, जो उनके जीवित रहने पर और उनके ब्रह्मलीन होने के बाद भी बनी रहती है। इसी प्रकार, एक योग्य गुरु हमेशा अपने शिष्य का गुरुत्व बढ़ाने का प्रयास करता है। गोरखपुर स्थित गोरक्षपीठ की तीन पीढ़ियाँ इस परंपरा की अद्वितीय मिसाल हैं।


योगी आदित्यनाथ और उनके गुरु का संबंध

गोरक्षपीठाधीश्वर एवं उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के पूज्य गुरु ब्रह्मलीन महंत अवेद्यनाथ (बड़े महराज) का संबंध इस परंपरा का एक उत्कृष्ट उदाहरण है। बड़े महाराज ने योगी पर जो विश्वास रखा, वही योगी का अपने गुरु के प्रति समर्पण, सम्मान और श्रद्धा थी। बड़े महाराज योगी के लिए मार्गदर्शक थे।


योगी का लोककल्याण के प्रति समर्पण

बड़े महाराज ने जो लोककल्याण का दीप जलाया था, योगी उसे निरंतर प्रज्वलित कर रहे हैं। मुख्यमंत्री के रूप में, वह समाज, संस्कृति और सामाजिक समरसता को समृद्ध करने में लगे हैं।


गुरु का आदेश और श्रद्धा

योगी आदित्यनाथ की अपने गुरु के प्रति श्रद्धा गहरी है। उनके गुरु का आदेश उनके लिए ‘वीटो पॉवर’ जैसा था। जब भी योगी गोरखनाथ मंदिर जाते हैं, सबसे पहले अपने गुरु का आशीर्वाद लेते हैं। यह परंपरा उनके मठ में रहने तक जारी रहती है।


गुरु पूर्णिमा और पुण्यतिथि समारोह

हर गुरु पूर्णिमा और सितंबर में आयोजित साप्ताहिक पुण्यतिथि समारोह के दौरान, पीठ अपने गुरुओं को श्रद्धांजलि अर्पित करती है। इस दौरान संत और विद्वत समाज के लोग विभिन्न मुद्दों पर चर्चा करते हैं, जो गुरुजनों को याद करने और उनके संकल्पों को पूरा करने की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।


खिचड़ी मेला और श्रद्धा का प्रदर्शन

पूर्वांचल के करोड़ों लोग विभिन्न अवसरों पर गोरक्षपीठ के प्रति अपनी श्रद्धा व्यक्त करते हैं। मकर संक्रांति से शुरू होकर एक महीने तक चलने वाला खिचड़ी मेला इसका सबसे बड़ा उदाहरण है। इस दौरान लाखों श्रद्धालु गुरु गोरखनाथ को श्रद्धांजलि अर्पित करने आते हैं।


गुरु पूर्णिमा के कार्यक्रम

गुरुपूर्णिमा के अवसर पर गोरखनाथ मंदिर में साप्ताहिक श्रीराम कथा का आयोजन 4 जुलाई से शुरू हो चुका है। कथाव्यास प्रयागराज के आचार्य शांतनु जी महाराज हैं। कथा का समापन 10 जुलाई को होगा, जिसमें योगी आदित्यनाथ की उपस्थिति में विशेष पूजन और भजन का आयोजन होगा।