गुरु नानक देव जी की शिक्षाएं: जीवन को रोशन करने वाले पांच महत्वपूर्ण संदेश

गुरु नानक देव जी का प्रकाश पर्व हर साल कार्तिक पूर्णिमा को मनाया जाता है। इस अवसर पर श्रद्धालु उनके उपदेशों को याद करते हैं। गुरु जी ने मानवता, समानता और सच्चाई का संदेश दिया है। जानें उनके पांच प्रमुख शिक्षाएं, जो आज भी समाज को सही दिशा दिखाती हैं।
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गुरु नानक देव जी की शिक्षाएं: जीवन को रोशन करने वाले पांच महत्वपूर्ण संदेश

गुरु नानक देव जी का प्रकाश पर्व

गुरु नानक देव जी की शिक्षाएं: जीवन को रोशन करने वाले पांच महत्वपूर्ण संदेश

गुरु नानक देव जी

हर वर्ष कार्तिक पूर्णिमा के दिन, सिख समुदाय गुरु नानक देव जी का प्रकाश पर्व धूमधाम से मनाता है। इस खास मौके पर ननकाना साहिब में विशेष आयोजन होते हैं, जहां श्रद्धालु अरदास करते हैं और गुरु जी के उपदेशों को याद करते हैं। उनका जीवन मानवता, समानता और सत्य का प्रतीक है। गुरु नानक देव जी ने समाज को अंधविश्वास और भेदभाव से दूर रहकर सत्य, सेवा और प्रेम के मार्ग पर चलने का संदेश दिया। उनके विचार आज भी समाज को सही दिशा दिखाते हैं। आइए जानते हैं गुरु नानक जी की पांच प्रमुख शिक्षाएं।

गुरु नानक देव जी का जन्म 15 अप्रैल 1469 को पंजाब के तलवंडी गांव (जो अब पाकिस्तान में ननकाना साहिब के नाम से जाना जाता है) में हुआ था। उनके व्यक्तित्व में बचपन से ही दिव्यता और करुणा झलकती थी। वे सिख धर्म के पहले गुरु माने जाते हैं।


गुरु नानक देव जी की पांच मुख्य शिक्षाएं

ईश्वर का स्मरण करें (नाम जपो)

गुरु नानक देव जी ने सिखाया कि हमेशा परमात्मा का नाम याद करना चाहिए। इससे मन को शांति मिलती है और व्यक्ति काम, क्रोध, लोभ, मोह और अहंकार जैसी बुराइयों पर नियंत्रण पा सकता है।

ईमानदारी से कमाएं (किरत करो)

गुरु नानक देव जी ने बताया कि इंसान को अपनी आजीविका मेहनत और सच्चाई के रास्ते से कमानी चाहिए। दूसरों का हक नहीं लेना चाहिए और लालच या छल-कपट से बचना चाहिए। सच्ची कमाई से ही जीवन में सुख और शांति मिलती है।

वंड छको (बांटकर खाओ)

गुरु नानक देव जी ने यह भी संदेश दिया कि जो कुछ हम कमाते हैं, उसमें से जरूरतमंदों के साथ हिस्सा बांटना चाहिए। अपनी कमाई का कुछ भाग दूसरों की मदद में लगाना सेवा, दया और मानवता की सच्ची भावना को दर्शाता है।

सबको समान समझें (समानता)

गुरु नानक ने सिखाया कि जाति, धर्म, रंग या लिंग के आधार पर किसी से भेदभाव नहीं करना चाहिए। हर व्यक्ति समान है और सबमें ईश्वर का अंश है।

अंधविश्वासों से दूर रहें (सच्चे धर्म का पालन करें)

उन्होंने लोगों को पाखंड और अंधविश्वासों से दूर रहने का संदेश दिया। उनके अनुसार सच्चा धर्म प्रेम, सत्य और अच्छे कर्मों में बसता है, न कि बाहरी दिखावे में।