गुजरात में ऑनर किलिंग: 18 वर्षीय छात्रा की हत्या ने उठाए गंभीर सवाल

गुजरात के बनासकांठा जिले में एक 18 वर्षीय छात्रा चंद्रिका चौधरी की ऑनर किलिंग ने पूरे देश में आक्रोश फैलाया है। उसके पिता और चाचा ने पारिवारिक इज्जत के नाम पर उसकी हत्या की। चंद्रिका ने NEET परीक्षा में अच्छे अंक प्राप्त किए थे और सरकारी मेडिकल कॉलेज में दाखिला मिलने वाला था। इस घटना ने महिलाओं की सुरक्षा और स्वतंत्रता पर गंभीर सवाल उठाए हैं। पुलिस ने मामले में कार्रवाई करते हुए चाचा को गिरफ्तार कर लिया है, जबकि पिता फरार है। यह घटना समाज में जागरूकता और सख्त कानूनों की आवश्यकता को उजागर करती है।
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गुजरात में ऑनर किलिंग: 18 वर्षीय छात्रा की हत्या ने उठाए गंभीर सवाल

दर्दनाक घटना का विवरण


गुजरात के बनासकांठा जिले में एक दुखद ऑनर किलिंग की घटना सामने आई है। 18 वर्षीय चंद्रिका चौधरी, जिसने NEET परीक्षा में 478 अंक प्राप्त किए थे और सरकारी मेडिकल कॉलेज में दाखिला पाने वाली थीं, को उनके पिता और चाचा ने पारिवारिक इज्जत के नाम पर हत्या कर दी। इस घटना ने पूरे देश में चिंता और आक्रोश पैदा कर दिया है।


घटना का संक्षिप्त विवरण

पुलिस के अनुसार, चंद्रिका के चाचा शिवराम चौधरी को यह डर था कि अगर वह कॉलेज जाएंगी, तो लड़कों से दोस्ती कर लेंगी, जिससे परिवार की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचेगा। इसी डर ने चाचा और पिता सेधाभाई पटेल को इस जघन्य अपराध को अंजाम देने के लिए मजबूर किया। 24 जून 2025 को, चंद्रिका को दूध में नशीली दवा मिलाकर बेहोश किया गया और फिर उसे घर के स्टोररूम में ले जाकर चुन्नी से गला घोंटकर मार दिया गया।


परिवार की छिपाने की कोशिश

चंद्रिका की मौत को परिवार ने पहले हार्ट अटैक या आत्महत्या का रूप देने की कोशिश की। उन्होंने पोस्टमार्टम नहीं कराया और शव का अंतिम संस्कार जल्दी में कर दिया। लेकिन चंद्रिका के प्रेमी हरेश चौधरी ने इस पर संदेह जताया और कोर्ट में हैबियस कॉर्पस याचिका दायर की, जिससे यह मामला उजागर हुआ।


पुलिस की कार्रवाई

पुलिस ने चाचा को गिरफ्तार कर लिया है, जबकि पिता अभी भी फरार है। मामले की गहन जांच जारी है।


सामाजिक प्रभाव

यह घटना महिलाओं की सुरक्षा, शिक्षा और स्वतंत्रता पर गंभीर सवाल उठाती है। चंद्रिका जैसे युवा सपनों की हत्या समाज के लिए एक बड़ा चिंता का विषय है।


निष्कर्ष

यह दुखद घटना ऑनर किलिंग के खिलाफ सख्त कानून और सामाजिक जागरूकता की आवश्यकता को उजागर करती है। शिक्षा और स्वतंत्रता के अधिकारों की रक्षा के लिए सामूहिक प्रयासों की आवश्यकता है।