गुजरात में आईएसआईएस से जुड़े आतंकियों की गिरफ्तारी: रासायनिक हमले की साजिश का पर्दाफाश
गुजरात एटीएस की कार्रवाई
अहमदाबाद से मिली एक गंभीर खुफिया सूचना ने देश की सुरक्षा एजेंसियों को चौकस कर दिया है। गुजरात एटीएस ने आईएसआईएस से जुड़े तीन आतंकवादियों को गिरफ्तार किया है, जिनमें एक डॉक्टर भी शामिल है। यह डॉक्टर कोई साधारण व्यक्ति नहीं है, बल्कि रिसिन जैसे घातक रासायनिक विष का निर्माण कर रहा था। एटीएस के अनुसार, 35 वर्षीय डॉ. अहमद मोहीउद्दीन सैयद, जो हैदराबाद का निवासी है, को 8 नवंबर को अहमदाबाद-महेसाणा मार्ग पर आदालज टोल प्लाज़ा से पकड़ा गया। उसके पास से दो Glock पिस्तौलें, एक Beretta, 30 जिंदा कारतूस और लगभग चार किलो कैस्टर बीन्स का मैश मिला, जिससे रिसिन विष निकाला जा सकता है।
आतंकवादी गतिविधियों की योजना
पुलिस ने बताया कि इस डॉक्टर ने पिछले छह महीनों में दिल्ली के आज़ादपुर मंडी, अहमदाबाद के नरोदा फल बाजार और लखनऊ स्थित राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) कार्यालय की रेकी की थी। ये स्थान अत्यधिक भीड़भाड़ वाले हैं, इसलिए इन्हें संभावित आतंकवादी हमले के लिए चुना गया था। डॉ. सैयद के साथ दो अन्य आरोपी भी गिरफ्तार किए गए हैं, जिनमें यूपी के शामली का निवासी 20 वर्षीय दर्जी आजाद सुलेमान शेख और लखीमपुर खीरी का 23 वर्षीय छात्र मोहम्मद सुहैल मोहम्मद सलीम खान शामिल हैं। जांच में पता चला है कि ये दोनों डॉक्टर को हथियार और कारतूस उपलब्ध करवा रहे थे.
रिसिन का आतंकवाद में उपयोग
यह पहली बार नहीं है जब रिसिन जैसे रासायनिक विष का उपयोग आतंकवाद के हथियार के रूप में किया गया है। अमेरिका में भी इसी विष का इस्तेमाल करके राष्ट्रपति पर हमला करने की कोशिश की गई थी। एक व्यक्ति, जिसने तत्कालीन राष्ट्रपति बराक ओबामा को रिसिन से भरे पत्र भेजने की बात कबूल की थी, को 25 वर्ष की सजा सुनाई गई थी। यह घटना दर्शाती है कि रिसिन का प्रयोग आतंक के 'सॉफ्ट हाइब्रिड हथियार' के रूप में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर स्थापित हो चुका है।
आतंकवाद का नया रूप
एटीएस की जांच में यह भी सामने आया कि अफगानिस्तान स्थित इस्लामिक स्टेट-खुरासान प्रांत के ऑपरेटिव अबू खालिदा से डॉ. सैयद का संपर्क था। सैयद उसके निर्देश पर भारत में रासायनिक हमले की योजना बना रहा था। हथियारों की आपूर्ति पाकिस्तान से ड्रोन के जरिए की गई थी। सभी आरोपियों पर गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम (UAPA) और आर्म्स एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज किया गया है। मुख्य आरोपी डॉक्टर को अदालत ने 17 नवंबर तक एटीएस की हिरासत में भेजा है.
भारत में आतंकवाद की नई चुनौतियाँ
इस घटना ने स्पष्ट कर दिया है कि भारत के खिलाफ आतंकवाद अब केवल बंदूक और बमों तक सीमित नहीं रहा। अब इसकी दिशा रासायनिक और जैविक हथियारों की ओर बढ़ रही है। रिसिन जैसे विष का उपयोग यदि भीड़भाड़ वाले बाजारों में किया जाता है, तो इसके परिणाम सैकड़ों नागरिकों की सामूहिक मृत्यु के रूप में सामने आ सकते हैं। यह केवल हिंसक विचारधारा का नहीं, बल्कि वैज्ञानिक दक्षता का दुरुपयोग है।
ड्रोन-आधारित आतंकवाद का उदय
जांच में यह भी सामने आया है कि हथियार पाकिस्तान से ड्रोन के माध्यम से भारत में भेजे गए। यह एक चिंताजनक पैटर्न दर्शाता है। पहले जम्मू-कश्मीर में ड्रोन ड्रॉपिंग होती थी; अब यह नेटवर्क गुजरात और राजस्थान की सीमा तक फैल चुका है। इससे संकेत मिलता है कि आतंकवाद अब असामान्य मार्गों से भारत में प्रवेश कर रहा है।
शिक्षित वर्ग का आतंकवाद में शामिल होना
यह तथ्य कि एक शिक्षित डॉक्टर आतंकवादी संगठन का हिस्सा बना, सामाजिक और मनोवैज्ञानिक दृष्टि से भी अध्ययन का विषय है। यह दर्शाता है कि आतंकवाद केवल आर्थिक हताशा का परिणाम नहीं, बल्कि वैचारिक और धार्मिक कट्टरता का संगठित परिणाम है।
भारत की सुरक्षा रणनीतियाँ
भारत को अब केवल पारंपरिक सुरक्षा नहीं, बल्कि Chemical, Biological, Radiological and Nuclear (CBRN) आतंकवाद के विरुद्ध भी तैयारी करनी होगी। इसके अलावा, मंडियों, मेलों, धार्मिक स्थलों और स्कूलों जैसे स्थानों पर सुरक्षा ढांचे को मजबूत करना आवश्यक है।
आतंकवाद का मुकाबला
भारत को इस चुनौती का सामना केवल हथियारों से नहीं, बल्कि विचारों से भी करना होगा। आईएसआईएस और उसके सहयोगी संगठनों की सबसे बड़ी ताकत यह है कि वे अपने अनुयायियों को धार्मिक भ्रम और 'शहादत' के नाम पर मानसिक रूप से दास बना लेते हैं।
निष्कर्ष
डॉ. अहमद सैयद की गिरफ्तारी भारत के लिए एक चेतावनी है कि आतंकवाद अब नए रूपों में जन्म ले रहा है। यह 'रासायनिक जिहाद' की ओर बढ़ता हुआ कदम है और यदि समय रहते इसे नहीं रोका गया, तो इसका परिणाम सामान्य आतंक से कहीं अधिक विनाशकारी हो सकता है।
